अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 20
ऋषिः - अथर्वा
देवता - भैषज्यम्, आयुष्यम्, ओषधिसमूहः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - ओषधि समूह सूक्त
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अ॑श्व॒त्थो द॒र्भो वी॒रुधां॒ सोमो॒ राजा॒मृतं॑ ह॒विः। व्री॒हिर्यव॑श्च भेष॒जौ दि॒व॒स्पु॒त्रावम॑र्त्यौ ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒श्व॒त्थ: । द॒र्भ: । वी॒रुधा॑म् । सोम॑: । राजा॑ । अ॒मृत॑म् । ह॒वि: । व्री॒हि: । यव॑: । च॒ । भे॒ष॒जौ । दि॒व: । पु॒त्रौ । अम॑र्त्यौ ॥७.२०॥
स्वर रहित मन्त्र
अश्वत्थो दर्भो वीरुधां सोमो राजामृतं हविः। व्रीहिर्यवश्च भेषजौ दिवस्पुत्रावमर्त्यौ ॥
स्वर रहित पद पाठअश्वत्थ: । दर्भ: । वीरुधाम् । सोम: । राजा । अमृतम् । हवि: । व्रीहि: । यव: । च । भेषजौ । दिव: । पुत्रौ । अमर्त्यौ ॥७.२०॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रोग के विनाश का उपदेश।
पदार्थ
[अश्वत्थः] वीरों के ठहरने का स्थान, पीपल का वृक्ष, (दर्भः) दुःखविदारक, कुश वा कांस का बिरवा, (वीरुधाम्) ओषधियों का (राजा) राजा (सोमः) सोमलता (अमृतम्) अमृत [बलकर] (हविः) ग्राह्य द्रव्य है। (भेषजौ) भयनिवारक (व्रीहिः) चावल (च) और (यवः) जौ दोनों (दिवः) उन्माद वा पीड़ा के (पुत्रौ) शोधनेवाले (अमर्त्यौ) अमर [पुष्टिकारक] हैं ॥२०॥
भावार्थ
मनुष्य पीपल, दर्भ, सोमलता, चावल, जौ आदि पदार्थों के गुणों को यथावत् जानें ॥२०॥
टिप्पणी
२०−(अश्वत्थः) अ० ३।६।१। अश्वा वीरास्तिष्ठन्ति यत्र स अश्वत्थः पिप्पलवृक्षः (दर्भः) अ० ६।४३।१। दुःखविदारकः कुशः काशो वा (वीरुधाम्) ओषधीनाम् (सोमः) सोमलता (राजा) (अमृतम्) सर्वगुणोपेतम् (हविः) ग्राह्यं द्रव्यम् (व्रीहिः) अ० ६।१४०।२। आशुधान्यम् (यवः) धान्यविशेषः (च) (भेषजौ) भयनिवारकौ (दिवः) दिवु क्रीडामदादिषु यद्वा दिव अर्दे-क्विप् डिवि वा। उन्मादस्य। पीडनस्य (पुत्रौ) अ० १।११।५। पुनातीति पुत्रः। शोधकौ (अमर्त्यौ) अमरणधर्माणौ। नित्यबलकरौ ॥
विषय
व्रीहिः यवः [च]
पदार्थ
१. (अश्वत्थ:) = पीपल, (दर्भ:) = कुशा घास, (वीरुधां राजा सोम:) = वीरुधों [बेलों] का राजा 'सोम'-ये तीनों (अमृतं हविः) = अमृत हवि है-अमृत भोजन हैं [हु अदने]। इनका प्रयोग मनुष्य को मृत्यु [रोग] से बचाता है। २. व्रीहि:-चावल यवः च-और जौ ये दोनों तो भेषजौ-औषध ही हैं, दिवः पुत्रौ-[दिवु मदे] सब प्रकार के उन्माद से हमारा त्राण करनेवाले [पुनाति त्रायते] तथा अमत्यौं-रोगों के कारण हमें असमय में न मरने देनेवाले हैं।
भावार्थ
'अश्वत्थ, दर्भ, सोम, व्रीहि और यव' ये हमें नीरोग बनाकर दीर्घजीवन देनेवाले हैं।
भाषार्थ
वे ओषधिया हैं - (अश्वत्थः, दर्भः) अश्वत्थ और दूभ; (वीरुधाम्) ओषधियों में (सोमः राजा) ओषधियों का राजा सोम-औषध; (अमृतम्) जल (हविः) यज्ञिय हवियां (दिवः पुत्रौ) तथा द्युलोक के दो पुत्र (व्रीहिः यवः च) व्रीहि अर्थात् धान और जौ (भेषजौ) जो कि औषधरूप हैं, (अमर्त्यौ) और मृत्यु से रक्षा करते हैं या औषधरूप में सदाजीवी हैं, किसी विशिष्ट रोग के न होते हुए भी क्षुधारोग में इन का सेवन सदा करना होता है।
टिप्पणी
[अश्वत्थः = पीपल। दर्भः = दूभ घास। "अमृतम् उदकनाम" (निघं० १।१२)। व्रीहि और यव, द्यौः के पुत्र कहे हैं। द्युलोक या द्युतिमान् सूर्य द्वारा बरसे जल से पैदा होते हैं। यद्यपि सभी ओषधियां द्यौः पैदा होती हैं, परन्तु व्रीहि और यव दैनिक भोजनरूप हैं, अतः इनका विशेष कथन हुआ है। ये दोनों विशिष्ट औषध हैं और मृत्यु से बचाते हैं, अन्नाभाव से मृत्यु हो जाती है, अतः ये दोनों प्राणापानरूप हैं यथा “व्रीहियवौ प्राणापानौ" (अथर्व० ११।४।१३)। यज्ञिय हविः, वायुशुद्धि द्वारा औषध है]।
इंग्लिश (4)
Subject
Health and Herbs
Meaning
Ashvattha, the peepal, Darbha, the durva grass, Soma, the chief of herbs and plants, the nectar of pure water, and pure food which is like the pure offering for the holy fire, natural rice and barley, both sanative gifts of heavenly light which save life from the pain of death and hunger, all these are the food of life.
Translation
The holy fig (asvattha), the sacred grass (barhis), and Soma, the king of plants, are the immortal sacrificial offerings. Rice and barley are two good medicines, the two immortal sons of heaven.
Translation
Ashvattha, Ficus Religiosa ; Darbha, (a kind of grass) Soma plant which is the king of all herbs and cerals are Amrit, the most useful and effectual. Barley .and rice are the healing balms and are the product of rain possessing immortal effect.
Translation
The holy fig tree, sacrificial grass, Soma, the King of plants, water, corn! possesses medicinal properties. Rice, barley are highly healing balms, which nourish us from heaven like sons.
Footnote
Holy fig tree: Pipal. Sacrificial grass: Durbh, Kusha, Rice and barley grow through rain, and nourish us, as sons do their parents. Fig tree is called Ficus Religiosa. Its shelter, use of drinking o the boiled water of its leaves is the cure for consumption.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२०−(अश्वत्थः) अ० ३।६।१। अश्वा वीरास्तिष्ठन्ति यत्र स अश्वत्थः पिप्पलवृक्षः (दर्भः) अ० ६।४३।१। दुःखविदारकः कुशः काशो वा (वीरुधाम्) ओषधीनाम् (सोमः) सोमलता (राजा) (अमृतम्) सर्वगुणोपेतम् (हविः) ग्राह्यं द्रव्यम् (व्रीहिः) अ० ६।१४०।२। आशुधान्यम् (यवः) धान्यविशेषः (च) (भेषजौ) भयनिवारकौ (दिवः) दिवु क्रीडामदादिषु यद्वा दिव अर्दे-क्विप् डिवि वा। उन्मादस्य। पीडनस्य (पुत्रौ) अ० १।११।५। पुनातीति पुत्रः। शोधकौ (अमर्त्यौ) अमरणधर्माणौ। नित्यबलकरौ ॥
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