अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 24
ऋषिः - अथर्वा
देवता - भैषज्यम्, आयुष्यम्, ओषधिसमूहः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - ओषधि समूह सूक्त
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याः सु॑प॒र्णा आ॑ङ्गिर॒सीर्दि॒व्या या र॒घटो॑ वि॒दुः। वयां॑सि हं॒सा या वि॒दुर्याश्च॒ सर्वे॑ पत॒त्त्रिणः॑। मृ॒गा या वि॒दुरोष॑धी॒स्ता अ॒स्मा अव॑से हुवे ॥
स्वर सहित पद पाठया: । सु॒ऽप॒र्णा: । आ॒ङ्गि॒र॒सी: । दि॒व्या: । या: । र॒घट॑: । वि॒दु: । वयां॑सि । हं॒सा: । या: । वि॒दु: । या: । च॒ । सर्वे॑ । प॒त॒त्रिण॑: । मृ॒गा: । या: । वि॒दु: । ओष॑धी: । ता: । अ॒स्मै । अव॑से । हु॒वे॒ ॥७.२४॥
स्वर रहित मन्त्र
याः सुपर्णा आङ्गिरसीर्दिव्या या रघटो विदुः। वयांसि हंसा या विदुर्याश्च सर्वे पतत्त्रिणः। मृगा या विदुरोषधीस्ता अस्मा अवसे हुवे ॥
स्वर रहित पद पाठया: । सुऽपर्णा: । आङ्गिरसी: । दिव्या: । या: । रघट: । विदु: । वयांसि । हंसा: । या: । विदु: । या: । च । सर्वे । पतत्रिण: । मृगा: । या: । विदु: । ओषधी: । ता: । अस्मै । अवसे । हुवे ॥७.२४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रोग के विनाश का उपदेश।
पदार्थ
(याः) जिन (आङ्गिरसीः) ऋषियों करके बताई हुईं [ओषधियों] को (सुपर्णाः) गरुड़, गिद्ध आदि, (याः) जिन (दिव्याः) दिव्य [ओषधियों] को (रघटः) आकाश में फिरनेवाले [जीव] (विदुः) जानते हैं, (याः) जिनको (वयांसि) पक्षी (हंसाः) हंस, (च) और (याः) जिन को (सर्वे) सब (पतत्त्रिणः) पंखवाले जीव (विदुः) जानते हैं, (याः ओषधीः) जिन ओषधियों को (मृगाः) बनैले पशु (विदुः) जानते हैं, (ताः) उन सबको (अस्मै) इस [पुरुष] के लिये (अवसे) रक्षा के हित (हुवे) मैं बुलाता हूँ ॥२४॥
भावार्थ
मन्त्र २३ के समान ॥२४॥
टिप्पणी
२४−(याः) ओषधीः (सुपर्णाः) अ० २।३०।३। सुपतनाः-निरु० ३।१२। गरुडगृध्रादयः (आङ्गिरसीः) म० १७। अङ्गिरोभिः प्रोक्ताः (दिव्याः) श्रेष्ठाः (याः) (रघटः) रघि गतौ-अच्, नुम् लोपः+अट गतौ क्विप्, शकन्ध्वादिरूपम्। रघे गन्तव्ये आकाशे अटनशीलाः (विदुः) जानन्ति (वयांसि) अ० २।३०।३। पक्षिणः (हंसाः) अ० ६।१२।१। पक्षिविशेषाः (पतत्त्रिणः) पक्षयुक्ता जन्तवः (मृगाः) अ० ३।१५।१। अरण्यपशवः। अन्यत्पूर्ववत् ॥
विषय
सुपर्णा: मृगाः
पदार्थ
१. या:-जिन आङ्गिरसी:-अंगों में रस का संचार करनेवाली औषधियों को सुपर्णाः [विदुः]-गरुड़ जानते हैं, या: दिव्या:-जिन दिव्य गुणोंवाली ओषधियों को रघट: विदुः अति वेग से उड़नेवाले पक्षी जानते हैं [रघु अटति]।या:-जिन औषधों को वांसि कौवे हंसा:-और हंस बिदुः-जानते हैं, या: च-और जिन्हें सर्वे पतत्रिण:-पंखोंवाले सब प्राणी जानते है, या: ओषधी:-जिन ओषधियों को मृगाः विदुः आरण्य हरिण आदि पशु जानते हैं, ता:-उन ओषधियों को अस्मै-इस पुरुष के लिए अवसे हुवे-रोगों से रक्षण के लिए पुकारते हैं।
भावार्थ
प्रभु ने पशु-पक्षियों में वह स्वाभाविक चेतना रक्खी है, जिससे वे अद्धत ओषधियों को उपलब्ध कर पाते हैं। हम उन ओषधियों के समुचित प्रयोग से इस रूग्ण पुरुष को नीरोग बनानेवाले हों।
भाषार्थ
(याः) जिन (आङ्गिरसीः) शरीर और अङ्गों के रसरूप प्राण सम्बन्धी ओषधियों को (सुपर्णः) गरुड़ तथा (याः) जिन (दिव्याः) दिव्य ओषधियों को (रघटः) लघुकायरूप अन्तरिक्ष में उड़ने वाली चिड़ियां-तोते आदि (विदुः) जानते हैं, (वयांसि) महाकायरूप पक्षी या कौए, (हंसाः) और हंस (याः) जिन ओषधियों को (च) तथा (सर्वे पतत्रिणः) अन्य सब पक्षी (याः) जिन्हें (विदुः) जानते हैं (मृगाः) मृग (याः) जिन (ओषधीः) ओषधियों को (विदुः) जानते हैं (ताः) उन्हें (अस्मै) इस के लिये (अवसे) रक्षार्थ (हुवे) मैं पुकारता हूं।
टिप्पणी
[आङ्गिरसीः, देखो मन्त्र (१७)। रघटः = रघु (रघु, लघु) अट (गतौ) + क्विप् + प्रथमा बहुवचन]
इंग्लिश (4)
Subject
Health and Herbs
Meaning
The life-giving herbs which the eagle knows and recognises, the divine herbs which the sparrows know and recognise, those that the swans, other such and all birds know and recognise, and those which the deer know and recognise, all those herbs I take up and administer for the cure of this patient.
Translation
The herbs with sapful limbs, that the eagles know; the divine herbs, that the sparrow (supama) knows (radhatah); the herbs, that are known to the birds and the swans (hansah), and to all the winged ones (patatrinoh); and the medicinal plants, that are known to the deer (mrgah) - those I call to save this man.
Translation
I collect for the aid of this man the medicinal herbs which are Angirasa (of hot properties) and known to hawks, mighty ones to which the eagle knows, which are known to swans ; which are known to lesser fowl which are known to all the birds that fly, and which are known to sylvan beasts.
Translation
Plants described by learned sages, which hawks know, healing plants which eagles know, plants known to crows and swans, plants known to all the birds that fly, plants that are known to sylvan beasts, I call them all to aid this ailing man.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२४−(याः) ओषधीः (सुपर्णाः) अ० २।३०।३। सुपतनाः-निरु० ३।१२। गरुडगृध्रादयः (आङ्गिरसीः) म० १७। अङ्गिरोभिः प्रोक्ताः (दिव्याः) श्रेष्ठाः (याः) (रघटः) रघि गतौ-अच्, नुम् लोपः+अट गतौ क्विप्, शकन्ध्वादिरूपम्। रघे गन्तव्ये आकाशे अटनशीलाः (विदुः) जानन्ति (वयांसि) अ० २।३०।३। पक्षिणः (हंसाः) अ० ६।१२।१। पक्षिविशेषाः (पतत्त्रिणः) पक्षयुक्ता जन्तवः (मृगाः) अ० ३।१५।१। अरण्यपशवः। अन्यत्पूर्ववत् ॥
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