Loading...
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 47
    ऋषिः - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त
    2

    क्षि॒प्रं वै तस्या॒हन॑ने॒ गृध्राः॑ कुर्वत ऐल॒बम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क्षि॒प्रम् । वै । तस्य॑ । आ॒ऽहन॑ने । गृध्रा॑: । कु॒र्व॒ते॒ । ऐ॒ल॒बम् ॥१०.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क्षिप्रं वै तस्याहनने गृध्राः कुर्वत ऐलबम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क्षिप्रम् । वै । तस्य । आऽहनने । गृध्रा: । कुर्वते । ऐलबम् ॥१०.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 47
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    वेदवाणी रोकने के दोषों का उपदेश।

    पदार्थ

    (क्षिप्रम्) शीघ्र (वै) निश्चय करके (तस्य) उस [वेदनिन्दक] के (आहनने) मार डालने पर (गृध्राः) गिद्ध आदि (ऐलबम्) कलकल शब्द (कुर्वते) करते हैं ॥४७॥

    भावार्थ

    वेदनिन्दक पुरुष ऐसे बे-ठिकाने संग्राम आदि में मारे जाते हैं कि उनकी लोथों को गिद्ध आदि चींथ-चींथ कर खाते हैं ॥४७॥

    टिप्पणी

    ४७−(क्षिप्रम्) शीघ्रम् (वै) एव (तस्य) ब्रह्मज्यस्य (आहनने) मारणे (गृध्राः) मांसभक्षकाः पक्षिविशेषाः (कुर्वते) (ऐलबम्) अ० ११।२।३०। इल स्वप्नक्षेपणयोः−घञ्। आङ्+एल+बण शब्दे−ड। आक्षेपध्वनिम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ब्रह्मज्य की अन्त्येष्टि

    पदार्थ

    १. (क्षिप्रम्) = शीघ्र ही (वै) = निश्चय से (तस्य) = उस ब्रह्मज्य के (आहनने) = मारे जाने पर (गृधा:) = गिद्ध (ऐलबम्) = [Noise, cry] कोलाहल (कुर्वते) = करते हैं। (क्षिप्रं वै) = शीघ्र ही निश्चय से (तस्य आदहनं परि) = उस ब्रह्मण्य के भस्मीकरण स्थान के चारों ओर (केशिनी:) = खुले बालोंवाली, (पाणिना उरसि आजाना:) = हाथ से छाती पर आघात करती हुई, (पापं ऐलबम् कुर्वाणा:) = अशुभ शब्द 'क्रन्दन-ध्वनि' करती हुई स्त्रियाँ (नृत्यन्ति) = नाचती हैं। २. (क्षिप्रं वै) = शीघ्र ही निश्चय से (तस्य) = उसके (वास्तषु) = घरों में (वृकाः ऐलबम् कुर्वते) = भेड़िये शोर करने लगते हैं, अर्थात् उसका घर उजड़कर भेड़ियों का निवासस्थान बन जाता है। (क्षिप्रं वै) = शीघ्र ही निश्चय से (तस्य प्रच्छन्ति) = उसके विषय में पूछते हैं (यत्) = कि (तत् आसीत्) = ओह ! इसका तो वह अवर्णनीय वैभव था (इदं नु तत् इति) = क्या यह वही है-बस, वह सब यही खण्डहर होकर ढेर हुआ पड़ा है।

    भावार्थ

    ब्रह्मज्य का विनाश हो जाता है। उसका घर उजड़ जाता है-सब ऐश्वर्य समाप्त हो जाता है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (तस्य) उस क्षत्रिय राजा के (आहनने) हनन हो जाने पर (क्षिप्रं वै) निश्चय से शीघ्र (गृध्राः) गीध (ऐलवम्) विलास (कुर्वते) करते हैं।

    टिप्पणी

    [ऐसे क्षत्रिय राजा को मार देने पर उस के शरीर को खाने के लिये गीध इकट्ठे हो जाते हैं]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ब्रह्मगवी का वर्णन।

    भावार्थ

    (तस्य) पूर्वोक्त ब्राह्मण को दुःख देने वाले दुष्ट पुरुष के (आ-हनने) मारे जाने पर (गृधाः) गीध (क्षिप्रं वै) बहुत शीघ्र ही (ऐलबम् कुर्वते) बड़ा कोलाहल करते हैं।

    टिप्पणी

    ‘कुर्वतैलवम्’ इति पैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिर्देवते च पूर्वोक्ते। ४७, ४९, ५१-५३, ५७-५९, ६१ प्राजापत्यानुष्टुभः, ४८ आर्षी अनुष्टुप्, ५० साम्नी बृहती, ५४, ५५ प्राजापत्या उष्णिक्, ५६ आसुरी गायत्री, ६० गायत्री। पञ्चदशर्चं षष्टं पर्यायसूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Divine Cow

    Meaning

    Instant on the guardian ruler’s fall, vultures flock in and raise a deathly din upon the corpse.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Subject

    PARYAYA - VI

    Translation

    Quickly, indeed at his killing the vultures make a din.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Instantaneously when he is hit by death the ventures make cry(to eat his body).

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Quickly, when he is smitten down by death, the clamorous vultures cry.

    Footnote

    Him: The Kshatriya. Vultures making noise flock to eat his corpse

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४७−(क्षिप्रम्) शीघ्रम् (वै) एव (तस्य) ब्रह्मज्यस्य (आहनने) मारणे (गृध्राः) मांसभक्षकाः पक्षिविशेषाः (कुर्वते) (ऐलबम्) अ० ११।२।३०। इल स्वप्नक्षेपणयोः−घञ्। आङ्+एल+बण शब्दे−ड। आक्षेपध्वनिम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top