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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 29
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - अग्निः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त
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    हन्त्वे॑ना॒न्प्र द॑ह॒त्वरि॒र्यो नः॑ पृत॒न्यति॑। क्र॒व्यादा॒ग्निना॑ व॒यं स॒पत्ना॒न्प्र द॑हामसि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    हन्तु॑ । ए॒ना॒न् । प्र । द॒ह॒तु॒ । अरि॑: । य: । न॒: । पृ॒त॒न्यत‍ि॑ । क्र॒व्य॒ऽअदा॑ । अ॒ग्निना॑ । व॒यम् । स॒ऽपत्ना॑न् । प्र । द॒हा॒म॒सि॒ ॥१.२९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    हन्त्वेनान्प्र दहत्वरिर्यो नः पृतन्यति। क्रव्यादाग्निना वयं सपत्नान्प्र दहामसि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    हन्तु । एनान् । प्र । दहतु । अरि: । य: । न: । पृतन्यत‍ि । क्रव्यऽअदा । अग्निना । वयम् । सऽपत्नान् । प्र । दहामसि ॥१.२९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 1; मन्त्र » 29
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    हिन्दी (4)

    विषय

    जीवात्मा और परमात्मा का उपदेश।

    पदार्थ

    वह [शूर पुरुष] (एनान्=एनम्) उसको (हन्तु) मारे, (प्र दहतु) जला देवे, (यः अरिः) जो वैरी (नः) हम पर (पृतन्यति) सेना चढ़ाता है। (क्रव्यादा) मांसभक्षक [मृतकदाहक] (अग्निना) अग्नि से [जैसे, वैसे] (वयम्) हम (सपत्नान्) वैरियों को (प्र दहामसि) जलाये देते हैं ॥२९॥

    भावार्थ

    ज्ञानवान् शूर पुरुष अपने शत्रु दोषों को इस प्रकार भस्म कर दे, जैसे अग्नि से मृतक शरीर भस्म किया जाता है। यह ईश्वरनियम सब मनुष्यों को मानना चाहिये ॥२९॥

    टिप्पणी

    २९−(हन्तु) (एनान्) एकवचनस्य बहुवचनम्। एनम्। अरिम् (प्र) प्रकर्षेण (दहतु) भस्मीकरोतु (अरिः) शत्रुः (यः) (नः) अस्मान् (पृतन्यति) पृतनया सेनया युध्यते (क्रव्यादा) मांसभक्षकेन। शवदाहकेन (अग्निना) भौतिकेन (वयम्) धार्मिकाः (सपत्नान्) अरीन् (प्र) (दहामसि) दहामः ॥

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    विषय

    ज्ञानानि Vs. क्रव्यादग्नि

    पदार्थ

    १. वह प्रभु (एनान्) = इन हमारे शत्रुओं का विनाश करें (यः अरि:) = जो भी शत्रु (नः पृतन्यति) = हमपर आसुरभावों की सेना से आक्रमण करता है, अग्रणी प्रभु उनको (प्रदहतु) = जला दे। हमारे अन्दर प्रविष्ट हो जानेवाले शत्रुओं को हम ज्ञानाग्नि द्वारा भस्म करनेवाले हों। २. (वयम्) = हम (क्रव्यात् अग्निना) = कच्चा मांस खा जानेवाले कामाग्नि द्वारा (सपत्नान् प्रदहामसि) = शत्रुओं को ही जलानेवाले हों। कामाग्नि हमारे शत्रुओं को भस्म करे। हम ज्ञानानि द्वारा इन कामादि शत्रुओं का विनाश करनेवाले बनें।

    भावार्थ

    कामाग्नि हमारे शत्रुओं को भस्म करे। हम ज्ञानाग्नि द्वारा इन कामादि शत्रुओं को भस्म करनेवाले बनें।

     

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    भाषार्थ

    क्षात्राग्नि (एनान्) इन्हें (हन्तु) मारे, (यः) जो (अरि) शत्रु (नः पृतन्यति) हम पर सेना द्वारा आक्रमन करता है उसे (प्र दहतु) क्षात्राग्नि दग्ध करे। (वयम्) हम (क्रव्यादा अग्निना) श्मशानाग्नि द्वारा (सपत्नान्) शत्रुओं को (प्र दहामसि) प्रदग्ध करते हैं।

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    विषय

    ‘रोहित’ रूप से परमात्मा और राजा का वर्णन।

    भावार्थ

    अग्नि के स्वभाव का तेजस्वी पुरुष (एनान्) इन शत्रुओं को (हन्तु) मारे और (यः) जो (अरिः) शत्रु (नः) हमें (पृतन्यति) सेना लेकर हमारा विनाश करता है उसको वह पूर्वोक्त अग्नि (प्र दहतु) अच्छी प्रकार भस्म करे। (क्रव्यादा) क्रव्य = कच्चा मांस खाने वाले (अग्निना) शवाग्नि के समान अति क्रूर स्वभाव के पुरुष द्वारा (वयं) हम (सपत्नान्) शत्रुओं को (प्र दहामसि) जला दिया करें, भस्म कर दिया करें, उनका मूलोच्छेद कर दें।

    टिप्पणी

    ‘दहत्वग्निर्यो’ इति पैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ब्रह्मा ऋषिः। रोहित आदित्यो देवता। अध्यात्मं सूक्तम्। ३ मरुतः, २८, ३१ अग्निः, ३१ बहुदेवता। ३-५, ९, १२ जगत्यः, १५ अतिजागतगर्भा जगती, ८ भुरिक्, १६, १७ पञ्चपदा ककुम्मती जगती, १३ अति शाक्वरगर्भातिजगती, १४ त्रिपदा पुरः परशाक्वरा विपरीतपादलक्ष्म्या पंक्तिः, १८, १९ ककुम्मत्यतिजगत्यौ, १८ पर शाक्वरा भुरिक्, १९ परातिजगती, २१ आर्षी निचृद् गायत्री, २२, २३, २७ प्रकृता विराट परोष्णिक्, २८-३०, ५५ ककुम्मती बृहतीगर्भा, ५७ ककुम्मती, ३१ पञ्चपदा ककुम्मती शाक्वरगर्भा जगती, ३५ उपरिष्टाद् बृहती, ३६ निचृन्महा बृहती, ३७ परशाक्वरा विराड् अतिजगती, ४२ विराड् जगती, ४३ विराड् महाबृहती, ४४ परोष्णिक्, ५९, ६० गायत्र्यौ, १, २, ६, ७, १०, ११, २०, २४, २५, ३२-३४, ३८-४१, ४२-५४, ५६, ५८ त्रिष्टुभः। षष्ट्यचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Rohita, the Sun

    Meaning

    Let Agni, ruling light and fire, bum off these enemies, burn whoever the enemy that attacks us with a fighting force. We burn the destructive enemies and adversaries with deathly fire.

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    Translation

    May (He) destroy them, burn completely the enemy, that invades us with his hordes. With the flesh-consuming fire, we burn our rivals completely.

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    Translation

    Let this fire destroy and burn them who are our enemy and who attack us to kill. We burn our enemies through the Kravyad fire.

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    Translation

    Let him smite down to death and burn the foeman who attacked us with his army. May we consume our adversaries, just as the funeral fire does the corpse.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २९−(हन्तु) (एनान्) एकवचनस्य बहुवचनम्। एनम्। अरिम् (प्र) प्रकर्षेण (दहतु) भस्मीकरोतु (अरिः) शत्रुः (यः) (नः) अस्मान् (पृतन्यति) पृतनया सेनया युध्यते (क्रव्यादा) मांसभक्षकेन। शवदाहकेन (अग्निना) भौतिकेन (वयम्) धार्मिकाः (सपत्नान्) अरीन् (प्र) (दहामसि) दहामः ॥

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