अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 25
ऋषिः - अथर्वा
देवता - कश्यपः, समस्तार्षच्छन्दांसि, ऋषिगणः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - विराट् सूक्त
0
को नु गौः क ए॑कऋ॒षिः किमु॒ धाम॒ का आ॒शिषः॑। य॒क्षं पृ॑थि॒व्यामे॑क॒वृदे॑क॒र्तुः क॑त॒मो नु सः ॥
स्वर सहित पद पाठक: । नु । गौ: । क: । ए॒क॒ऽऋ॒षि: । किम् । ऊं॒ इति॑ । धाम॑ । का: । आ॒ऽशिष॑: । य॒क्षम् । पृ॒थि॒व्याम् । ए॒क॒ऽवृत् । ए॒क॒ऽऋ॒तु: । क॒त॒म: । नु । स: ॥९.२५॥
स्वर रहित मन्त्र
को नु गौः क एकऋषिः किमु धाम का आशिषः। यक्षं पृथिव्यामेकवृदेकर्तुः कतमो नु सः ॥
स्वर रहित पद पाठक: । नु । गौ: । क: । एकऽऋषि: । किम् । ऊं इति । धाम । का: । आऽशिष: । यक्षम् । पृथिव्याम् । एकऽवृत् । एकऽऋतु: । कतम: । नु । स: ॥९.२५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
ब्रह्म विद्या का उपदेश।
पदार्थ
(कः नु) कौन सा (गौः) [लोगों का] चलानेवाला, (कः) कौन (एकऋषिः) अकेला ऋषि [सन्मानदर्शक], (उ) और (किम्) कौन (धाम) ज्योतिःस्वरूप है, और (काः) कौनसी (आशिषः) हितप्रार्थनाएँ हैं। (पृथिव्याम्) पृथिवी पर [जो] (एकवृत्) अकेला वर्तमान (यक्षम्) पूजनीय [ब्रह्म] है, (सः) वह (एकर्तुः) एक ऋतुवाला [एकरस वर्तमान] (कतमः नु) कौन सा [पुरुष है] ॥२५॥
भावार्थ
इन प्रश्नों का उत्तर अगले मन्त्र में है ॥२५॥
टिप्पणी
२५−(कः) (नु) प्रश्ने (गौः) गमेर्डोः। उ० २।६७। णिजर्थाद् गमेर्डो। गौरादित्यो भवति, गमयति रसान्, गच्छत्यन्तरिक्षे-निरु० २।१४। लोकानां गमयिता (कः) (एकऋषिः) अ० २।६।१। ऋषिः दर्शनात्-निरु० २।१। अद्वितीयसन्मार्गदर्शकः (किम्) (उ) (धाम) ज्योतिःस्वरूपम् (काः) (आशिषः) अ० २।२५।७। हितप्रार्थनाः (यक्षम्) म० ८। यज पूजायाम्-स। पूजनीयं ब्रह्म (पृथिव्याम्) भूमौ (एकवृत्) अद्वितीयवर्तमानम् (एकर्तुः) एकस्मिन् ऋतौ सदा वर्तमानः कालेनानवच्छेदात् (कतमः) सर्वेषां कः (नु) (सः) ॥
विषय
'एकवृत्' यक्ष
पदार्थ
१. (क:) = कौन (नु) = निश्चय से (गौ:) = संसार-शकट का बैंचनेवाल बैल [अनड्वान्] है? (क:) = कौन (एक:) = अद्वितीय (ऋषि:) = तत्त्वद्रष्टा है, (उ) = और (कीं धाम) = कौन तेज है? (का: आशिष:) = [आशास् to order, to command] कौन-सी शासक शक्तियाँ हैं। (पृथिव्याम्) = इस पृथिवी पर (यक्षम्) = सबका संगतिकरण करनेवाला-सब पदार्थों को एक सूत्र में पिरोनेवाला (एकवृत्) = अकेला ही होनेवाला (एकर्तुः) = अकेला ही गति देनेवाला [ऋगती], (स:) = वह (कतमः नु) = निश्चय ये कौन-सा है? २. उत्तर देते हुए कहते हैं कि-(एक: गौ:) = वह संसार शकट का वहन करनेवाला अनड्वान्-अद्वितीय प्रभु ही है। (एकः एकऋषि:) = वही अद्वितीय तत्वद्रष्टा है। (एकं धाम) = वही अद्वितीय तेज है। (एकधा आशिष:) = एक प्रकार की ही शासक शक्ति है-भिन्न-भिन्न लोगों में भिन्न-भिन्न शासक शक्तियाँ नहीं हैं। (पृथिव्याम्) = इस पृथिवी पर (यक्षम्) = पूज्य, सब लोकों का संगतिकरण करनेवाला (एकवृत्) = एक ही है, (एकर्तुः) = वह एक ही गति देनेवाला है। (न अतिरिच्यते) = उससे बढकर कोई नहीं है।
भावार्थ
प्रभु इस संसार-शकट का वहन कर रहे हैं। वे तत्वद्रष्टा है, तेज:पुञ्ज हैं, एकमात्र शासक हैं। वे सब लोक-लोकान्तरों का संगतिकरण करनेवाले प्रभु एक ही हैं। वे ही सारे ब्रह्माण्ड को गति दे रहे हैं। उनसे बढ़कर कोई नहीं है।
इसप्रकार प्रभु से शासित संसार को देखनेवाला यह ज्ञानी मानव-समाज में भी शासन व्यवस्था लाने का चिन्तन करता है। इसका उपदेश देनेवाला यह आचार्य स्वयं स्थिर वृत्तिवाला होने से 'अथर्वा' बनता है। यह 'अथर्वाचार्य' ही अगले सूक्त का ऋषि है -
भाषार्थ
(कः, नु) कौन है निश्चय से (गौः) गौ, (कः) कौन है (एकः) एक (ऋषिः) ऋषि (किम्, उ) क्या है निश्चय से (धाम) धाम, (काः) कौन हैं (आशिषः) आशीर्वाद (पृथिव्याम्) पृथिवी में (यक्षम) यक्ष है (एकवृत्) एकवृत्, (एकर्तुः) एक है ऋतु, (सः) वह ऋतु (नु) निश्चय से (कतमः) ऋतुओं में कौन सी है।
इंग्लिश (4)
Subject
Virat Brahma
Meaning
Who is the Mother Cow? Who is the One and only visionary creator of the poetic universe? What is the ultimate haven and light supreme? What is the One of all the blessings? Who, of what sort, is that One adorable Divinity on earth beyond the change of seasons?
Translation
Who is the cow ? Who is the one seer ? Which is the abode ? What are the blessings ? On the earth, there is one Lord, worthy of thought and adoration, and of one season; who is he ?
Translation
Who is the only resisting power? Who is the seer of ail seers? What is the only abode of the world? What are the benedictions? What is one only spirit on the wondrous universe? Which of the number is single season or order?
Translation
Who makes the planets revolve? Who is the Revealer of the path of righteousness? Who is the sustainer of the universe? Who is the Controller of all objects? Who on the earth, exists alone, and who is beyond the shackles of time? Who is worthy of adoration?
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२५−(कः) (नु) प्रश्ने (गौः) गमेर्डोः। उ० २।६७। णिजर्थाद् गमेर्डो। गौरादित्यो भवति, गमयति रसान्, गच्छत्यन्तरिक्षे-निरु० २।१४। लोकानां गमयिता (कः) (एकऋषिः) अ० २।६।१। ऋषिः दर्शनात्-निरु० २।१। अद्वितीयसन्मार्गदर्शकः (किम्) (उ) (धाम) ज्योतिःस्वरूपम् (काः) (आशिषः) अ० २।२५।७। हितप्रार्थनाः (यक्षम्) म० ८। यज पूजायाम्-स। पूजनीयं ब्रह्म (पृथिव्याम्) भूमौ (एकवृत्) अद्वितीयवर्तमानम् (एकर्तुः) एकस्मिन् ऋतौ सदा वर्तमानः कालेनानवच्छेदात् (कतमः) सर्वेषां कः (नु) (सः) ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal