अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 27
ऋषिः - बृहस्पतिः
देवता - फालमणिः, वनस्पतिः
छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः
सूक्तम् - मणि बन्धन सूक्त
1
यमब॑ध्ना॒द्बृह॒स्पति॑र्दे॒वेभ्यो॒ असु॑रक्षितिम्। स मा॒यं म॒णिराग॑म॒त्तेज॑सा॒ त्विष्या॑ स॒ह यश॑सा की॒र्त्या स॒ह ॥
स्वर सहित पद पाठयम् । अब॑ध्नात् । बृह॒स्पति॑: । दे॒वेभ्य॑: । असु॑रऽक्षितिम् । स: । मा॒ । अ॒यम् । म॒णि: । आ । अ॒ग॒म॒त् । तेज॑सा । त्विष्या॑ । स॒ह । यश॑सा । की॒र्त्या᳡ । स॒ह ॥६.२७॥
स्वर रहित मन्त्र
यमबध्नाद्बृहस्पतिर्देवेभ्यो असुरक्षितिम्। स मायं मणिरागमत्तेजसा त्विष्या सह यशसा कीर्त्या सह ॥
स्वर रहित पद पाठयम् । अबध्नात् । बृहस्पति: । देवेभ्य: । असुरऽक्षितिम् । स: । मा । अयम् । मणि: । आ । अगमत् । तेजसा । त्विष्या । सह । यशसा । कीर्त्या । सह ॥६.२७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
सब कामनाओं की सिद्धि का उपदेश।
पदार्थ
(यम्) जिस (असुरक्षितिम्) असुरनाशक.... म० २२। (सः अयम्) वही (मणिः) मणि [प्रशंसनीय वैदिक नियम] (मा) मुझे (तेजसा) तेज और (त्विष्या सह) शोभा के साथ [तथा] (यशसा) यश और (कीर्त्या सह) कीर्त्ति के साथ (आ अगमत्) प्राप्त हुआ है ॥२७॥
भावार्थ
मनुष्य ईश्वरनियम से पुरुषार्थी होकर प्रतापी और यशस्वी होवें ॥२७॥
टिप्पणी
२७−(त्विष्या) इगुपधात् कित्। उ० ४।१२०। त्विष दीप्तौ-इन्, कित्। दीप्त्या। शोभया। अन्यत् पूर्ववत् ॥
विषय
ऊर्जया-भूतिभिः
पदार्थ
१. (बृहस्पतिः) = [मन्त्र २२ में द्रष्टव्य है]२. (सः अयं मणि:) = वह यह मणि (मा) = मुझे (पयसा सह ऊर्जया) = शक्तियों के आप्यायन के साथ बल व प्राणशक्ति के साथ तथा (श्रिया सह) = शोभा के साथ (द्रविणेन) = कार्यसाधक धन के साथ (आगमत्) = प्राप्त हो। (त्विष्या सह तेजसा) = कान्तियुक्त तेज के साथ तथा (कीर्त्या सह) = कीर्ति [fame] के साथ यशसा सौन्दर्य [beauty, splendour] को लेकर, यह मणि मुझे प्राप्त हो तथा यह मणि (सर्वाभि: भूतिभिः सह) = सब ऐश्वयों के साथ मुझे प्राप्त हो।
भावार्थ
शरीर में सुरक्षित वीर्यमणि हमारे लिए 'शक्तियों के आप्यायन के साथ ऊर्जा को प्रास कराती है. श्री के साथ द्रविण देती है। कान्ति के साथ तेज तथा कीर्ति के साथ यश देनेवाली है। यह सब ऐश्वर्यों को प्राप्त कराती है।
भाषार्थ
(बृहस्पतिः) बृहत् ब्रह्माण्ड के पति परमेश्वर ने, (देवेभ्यः) देवों के उत्पादन के लिये, (असुरक्षितिम्) आसुरकर्मों का क्षय करने वाली (यम्) जिस कामनामयी मणि को (अबध्नात्) बान्धा, (सः) वह (अयम्, मणिः) यह मणि (मा) मुझे (आगमत्) प्राप्त हुई है (तेजसा त्विष्या) तेज और दीप्ति के (सह) साथ, तथा (यशसा कीर्त्या) यश और कीर्ति के (सह) साथ।
टिप्पणी
[तेज और त्विषि का परस्पर सम्बन्ध है, तथा यश और कीर्ति का भी परस्पर सम्बन्ध है। त्विषि= त्विष् दीप्तौ (भ्वादिः)। कीर्तिः= कीर्त्यते संशब्द्यते सा (उणा० ४।१२०)। महापुरुषों के सत्कार्यों का कथन या गान करना कीर्ति है। (व्याख्या मन्त्र २२, २३ के अनुसार)]।
इंग्लिश (4)
Subject
Manibandhana
Meaning
That jewel-mani of divine power and potential, which Brhaspati bore and generated for the divinities for the evolution of existence and control of evil and negativities, has come to me with lustre and splendour, with honour, excellence and fame.
Translation
The blessing, destroyer of the life-destroyers, which the Lord supreme has bestowed upon the enlightened ones, that same blessing has come to- me along with dignity (tejas) and impetuosity (tvisi), with fame (yasa) and glory (kirti).
Translation
That citron plant which the master of Vedic speech bind on the men of learning and which is the destroyer of disease-like foes, has come to me with splendor and blaze of light and with honor and illustrious fame,
Translation
The demon-destroying Vedic Law, which God, the Lord of mighty worlds created for the victorious, hath come to me with splendor and a blaze of light, with honor and illustrious fame.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२७−(त्विष्या) इगुपधात् कित्। उ० ४।१२०। त्विष दीप्तौ-इन्, कित्। दीप्त्या। शोभया। अन्यत् पूर्ववत् ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal