यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 53
ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्वा देवा ऋषयः
देवता - रुद्रा देवताः
छन्दः - निचृदार्ष्यनुस्टुप्
स्वरः - गान्धारः
2
स॒हस्रा॑णि सहस्र॒शो बा॒ह्वोस्तव॑ हे॒तयः॑। तासा॒मीशा॑नो भगवः परा॒चीना॒ मुखा॑ कृधि॥५३॥
स्वर सहित पद पाठस॒हस्रा॑णि। स॒ह॒स्र॒श इति॑ सहस्र॒ऽशः। बा॒ह्वोः। तव॑। हे॒तयः॑। तासा॑म्। ईशा॑नः। भ॒ग॒व॒ इति॑ भगवः। प॒रा॒चीना॑। मुखा॑। कृ॒धि॒ ॥५३ ॥
स्वर रहित मन्त्र
सहस्राणि सहस्रशो बाह्वोस्तव हेतयः । तासामीशानो भगवः पराचीना मुखा कृधि ॥
स्वर रहित पद पाठ
सहस्राणि। सहस्रश इति सहस्रऽशः। बाह्वोः। तव। हेतयः। तासाम्। ईशानः। भगव इति भगवः। पराचीना। मुखा। कृधि॥५३॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
राजजनैः किं कार्यमित्याह॥
अन्वयः
हे भगवः! यास्तव बाह्वोः सहस्राणि हेतयः सन्ति, तासामीशानः सन् सहस्रशः शत्रूणां मुखा पराचीना कृधि॥५३॥
पदार्थः
(सहस्राणि) (सहस्रशः) असंख्याताः (बाह्वोः) भुजयोः सम्बन्धिन्यः (तव) (हेतयः) प्रबला वज्रगतयः (तासाम्) (ईशानः) ईशनशीलः (भगवः) भाग्यवन् (पराचीना) पराचीनानि दूरीभूतानि (मुखा) मुखानि (कृधि) कुरु॥५३॥
भावार्थः
राजपुरुषैः बाहुबलेन राज्यं प्राप्यासंख्यशूरवीराः सेनाः संपाद्य सर्वे शत्रवः पराङ्मुखाः कार्याः॥५३॥
हिन्दी (3)
विषय
राजपुरुषों को क्या करना चाहिये, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
पदार्थ
हे (भगवः) भाग्यशील सेनापते! जो (तव) आपके (बाह्वोः) भुजाओं की सबन्धिनी (सहस्राणि) असंख्य (हेतयः) वज्रों की प्रबल गति हैं (तासाम्) उनके (ईशानः) स्वामीपन को प्राप्त आप (सहस्रशः) हजारहों शत्रुओं के (मुखा) मुख (पराचीना) पीछे फेर के दूर (कृधि) कीजिये॥५३॥
भावार्थ
राजपुरुषों को उचित है कि बाहुबल से राज्य को प्राप्त हो और असंख्य शूरवीर पुरुषों की सेनाओं को रख के सब शत्रुओं के मुख फेरें॥५३॥
विषय
नाना रुद्रों अधिकारियों का वर्णन ।
भावार्थ
हे ( भगवः ) ऐश्वर्यचन् ! राजन् ! ( तब बाह्वोः ) तेरी बाहुओं में (सहस्राणि सहस्रशः ) हजारहों, लाखों, ( हेतयः ) शस्त्रास्त्र हैं। तू( तासां ) उनका ( ईशानः ) स्वामी है । ( पराचीना मुखा ) उनके मुख परली तरफ को ( कृधि ) कर ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
निचृदार्ष्यनुष्टुप् । गान्धारः ॥
विषय
सहस्राणि सहस्त्रशः
पदार्थ
१. हे (भगवः) = समग्र ऐश्वर्य सम्पन्न राजन् ! (तव बाह्वोः) = आपकी भुजाओं में (सहस्राणि) = हज़ारों प्रकार के (सहस्रशः) = संख्या में हज़ारों (हेतयः) = हनन - साधन शस्त्र हैं । २. (तासाम् ईशानः) = उनके पूर्ण प्रभु होते हुए, अर्थात् उनके चलाने व रोकने में पूर्ण अभ्यस्त होते हुए आप (तासाम्) = उन शस्त्रों के (मुखा) = मुखों को (पराचीना) = हमसे दूसरी ओर गया हुआ, अर्थात् हमसे विपरीत दिशा में (कृधि) = कर दीजिए। अपनी तोपों का मुख हमसे दूर दूसरी ओर कर दीजिए। आपके ये अस्त्र आपकी प्रजा को ही न भूनने लगे। ३. [क] ये अस्त्र प्रकारों के दृष्टिकोण से सहस्रों हैं, और प्रत्येक संख्या में हज़ारों में है। [ख] राजा व राजपुरुष इन अस्त्रों के प्रयोग में पूर्ण निपुण हैं। [ग] इन अस्त्रों का प्रयोग वे शत्रुओं पर ही करते हैं, अपनी प्रजा पर नहीं ।
भावार्थ
भावार्थ - शतशः शस्त्रों के प्रयोग में निपुण राजा शत्रुओं पर ही शस्त्र प्रयोग करता है, उसके शस्त्र प्रजापीड़न का कारण नहीं बनते।
मराठी (2)
भावार्थ
राजपुरुषांनी आपल्या बलाने राज्य प्राप्त करावे, असंख्य शूर वीर पुरुषांची सेना बाळगावी व सर्व शत्रूंचा पराभव करावा.
विषय
राजपुरुषांनी काय केले पाहिजे, या विषयी
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे (भगत:) भाग्यशाली सेनापती, (तव) आपल्या (बाह्वो:) बाहूंमध्ये जी (सहस्राणि) असंख्य (हेतय:) व्रज आदी शस्त्रें आहेत (आपल्याजवळ दूरवर प्रहार करणारी जी अस्त्र-शस्त्रें आहेत) (तासाम्) त्यांचे (ईशान:) आपण अधिपती, स्वामी वा चालविणारे आहात (सहस्रश:) सहस्र शत्रू जरी आले, तरी ही आपण त्यांचे (मुख) मुख (आपल्यावर होणारे आक्रमण) (पराचीना) पुन्हा परतीच्या दिशेला (म्हणजे परतवून) लावू शकता आपण तेच (कृधि) करा ॥53॥
भावार्थ
भावार्थ - राजपुरुषांना (सेनापती, अधिकारी, सैनिक आदींना) योग्य आहे की आपल्या बाहुबळाने राज्य मिळवावे आणि वाढवावे, तसेच असंख्य शुरवीर सैनिक ठेऊन आपल्यावर चाल करून येणार्या शत्रूंचे मुख वळवावे (आक्रमण परतवून लावावे) ॥53॥
इंग्लिश (3)
Meaning
O auspicious commander of the army, thou hast got thousands of weapons in thy possession, Thou art their Lord. Turn back with them the faces of thousands of our foes.
Meaning
Lord of majesty and ruler of the world, hundreds and thousands are the arms and powers in your hands. Turn their shaft and direction away and elsewhere far from us.
Translation
There are thousands and thousands of weapons in your hands. O glorious Lord, being master of those weapons, keep their points turned away from us. (1)
Notes
Mukhaḥ, मुखानि, points; heads.
बंगाली (1)
विषय
রাজজনৈঃ কিং কার্য়মিত্যাহ ॥
রাজপুরুষদিগকে কী করা উচিত, এই বিষয়ের উপদেশ পরবর্ত্তী মন্ত্রে করা হইয়াছে ।
पदार्थ
পদার্থঃ–হে (ভগবঃ) ভাগ্যশীল সেনাপতে! যে (তব) আপনার (বাহ্বোঃ) বাহু সম্বন্ধী (সহস্রানি) অসংখ্য (হেতয়ঃ) বজ্রের প্রবল গতি, (তাসাম্) তাহাদের (ঈশানঃ) স্বামীত্বকে প্রাপ্ত আপনি (সহস্রশঃ) অসংখ্য শত্রুদিগের (মুখা) মুখ (পরাচীনা) পিছনে ফিরিয়া দূর (কৃধি) করুন ॥ ৫৩ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ–রাজপুরুষদের উচিত যে, বাহুবল দ্বারা রাজ্যকে প্রাপ্ত করা হউক এবং অসংখ্য শূরবীর পুরুষদিগের সেনাদের কে রাখিয়া সব শত্রুদের মুখ ফিরাইয়া দিক ॥ ৫৩ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
স॒হস্রা॑ণি সহস্র॒শো বা॒হ্বোস্তব॑ হে॒তয়ঃ॑ ।
তাসা॒মীশা॑নো ভগবঃ পরা॒চীনা॒ মুখা॑ কৃধি ॥ ৫৩ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
সহস্রাণীত্যস্য পরমেষ্ঠী প্রজাপতির্বা দেবা ঋষয়ঃ । রুদ্রা দেবতাঃ ।
নিচৃদার্ষ্যনুষ্টুপ্ ছন্দঃ । গান্ধারঃ স্বরঃ ॥
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