Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 2 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 23
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - आयुः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
    0

    मृ॒त्युरी॑शे द्वि॒पदां॑ मृ॒त्युरी॑शे॒ चतु॑ष्पदाम्। तस्मा॒त्त्वां मृ॒त्योर्गोप॑ते॒रुद्भ॑रामि॒ स मा बि॑भेः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मृ॒त्यु: । ई॒शे॒ । द्वि॒ऽपदा॑म् । मृ॒त्यु: । ई॒शे॒ । चतु॑:ऽपदाम् । तस्मा॑त् । त्वाम् । मृ॒त्यो: । गोऽप॑ते: । उत् । भ॒रा॒मि॒ । स: । मा । बि॒भे॒: ॥२.२३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मृत्युरीशे द्विपदां मृत्युरीशे चतुष्पदाम्। तस्मात्त्वां मृत्योर्गोपतेरुद्भरामि स मा बिभेः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मृत्यु: । ईशे । द्विऽपदाम् । मृत्यु: । ईशे । चतु:ऽपदाम् । तस्मात् । त्वाम् । मृत्यो: । गोऽपते: । उत् । भरामि । स: । मा । बिभे: ॥२.२३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 2; मन्त्र » 23
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    कल्याण की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (मृत्युः) मृत्यु (द्विपदाम्) दोपायों का (ईशे) शासक है, (मृत्युः) मृत्यु (चतुष्पदाम्) चौपायों का (ईशे) शासक है। (तस्मात्) उस (गोपतेः) पृथिवी के स्वामी (मृत्योः) मृत्यु से (त्वाम्) तुझे (उत् भरामि) ऊपर उठाता हूँ (सः) सो तू (मा बिभेः) मत भय कर ॥२३॥

    भावार्थ

    ब्रह्मज्ञानी पुरुष प्रबल मृत्यु से निर्भय होकर विचरते रहते हैं ॥२३॥

    टिप्पणी

    २३−(मृत्युः) (ईशे) ईष्टे। शासको भवति (द्विपदाम्) पदद्वयोपेतानां मनुष्यपक्ष्यादीनाम् (मृत्युः) (ईशे) (चतुष्पदाम्) पदचतुष्टययुक्तानां गवाश्वादीनाम् (तस्मात्) प्रसिद्धात् (त्वाम्) मनुष्यम् (मृत्योः) मरणात् (गोपतेः) भूमिशासकात् (उत् भरामि) उद्धारयामि (सः) स त्वम् (मा बिभेः) भयं मा कुरु ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    प्राणीरूप गौओं का मृत्युरुप गोपाल

    पदार्थ

    १. (द्विपदाम्) = दो पाँववाले मनुष्य, पक्षी आदि का (मृत्युः ईशे) = सर्वप्राणिसंहर्ता देव ईश है तथा (चतुष्पदा मृत्युः ईशे) = चार पाँववाले गौ, अश्व आदि पशुओं का भी मृत्यु ईश है। कोई भी प्राणधारी मृत्यु का अतिक्रमण नहीं कर सकता। २. (तस्मात्) = उस (गोपते:) = प्राणीरूप गौओं के गोपालरूप (मृत्यो:) = मृत्यु से (त्वा उदभरामि) = तेरा उद्धार करता हूँ। (सः मा बिभे:) = वह तू भयभीत न हो। मृत्यु-भय ही वस्तुतः असमय की मृत्यु का कारण बन जाता है।

    भावार्थ

    मृत्यु सब प्राणियों का ईश है। प्राणी गौएँ हैं तो यह मृत्यु 'गोपति' है। मृत्यु का उल्लंघन कोई नहीं कर सकता।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (मृत्युः) मृत्यु (द्विपदाम्) दो-पायों का (ईशे) अधीश्वर है, (मृत्युः) मृत्यु (चतुष्पदाम्) चौपायों का (ईशे) अधीश्वर है। (तस्मात्) उस (गोपते) पृथिवी के पति (मृत्योः) मृत्यु से (त्वाम्) तेरा (उद्भरामि) उद्धार में करता हूं, (सः) वह तू (मा)(बिभेः) भय कर।

    टिप्पणी

    [गोपतेः; गौः पृथिवीनाम (निघं० १।१)। दो-पायों और चौपायों का पृथिवी के साथ सम्बन्ध है, इसलिये "गोपतेः" का अर्थ "पृथिवीपति" सुसङ्गत है। पृथिवीनिवासी समग्र प्राणियों की अधीश्वरी है मृत्यु]।

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Long Life

    Meaning

    Death rules over the bipeds. Death rules over the quadrupeds. However, O man, fear not. We raise you above that fear of that Death, master ruler of life on earth.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Death rules over bipeds, death rules over quadrupeds. From that death, the master of the earth, I bear you up. Now, be not afraid.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Death has its hold over bipeds and it also upholds quadrupeds. I deliver you from the death which holds all the creatures into its clutches ar! you do not be afraid of it. O man !

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Death is the lord of bipeds. Death is the supreme lord of Quadrupeds. O ruler, away from that Death I bear thee, be not thou afraid.

    Footnote

    I' refers to God.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २३−(मृत्युः) (ईशे) ईष्टे। शासको भवति (द्विपदाम्) पदद्वयोपेतानां मनुष्यपक्ष्यादीनाम् (मृत्युः) (ईशे) (चतुष्पदाम्) पदचतुष्टययुक्तानां गवाश्वादीनाम् (तस्मात्) प्रसिद्धात् (त्वाम्) मनुष्यम् (मृत्योः) मरणात् (गोपतेः) भूमिशासकात् (उत् भरामि) उद्धारयामि (सः) स त्वम् (मा बिभेः) भयं मा कुरु ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top