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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 2 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 6
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - आयुः छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
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    जी॑व॒लां न॑घारि॒षां जी॑व॒न्तीमोष॑धीम॒हम्। त्रा॑यमा॒णां सह॑मानां॒ सह॑स्वतीमि॒ह हु॑वे॒ऽस्मा अ॑रि॒ष्टता॑तये ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    जी॒व॒लाम् । न॒घ॒ऽरि॒षाम् । जी॒व॒न्तीम् । ओष॑धीम् । अ॒हम् । त्रा॒य॒मा॒णाम् । सह॑मानाम् । सह॑स्वतीम् । इ॒ह । हु॒वे॒ । अ॒स्मै । अ॒रि॒ष्टऽता॑तये ॥२.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    जीवलां नघारिषां जीवन्तीमोषधीमहम्। त्रायमाणां सहमानां सहस्वतीमिह हुवेऽस्मा अरिष्टतातये ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    जीवलाम् । नघऽरिषाम् । जीवन्तीम् । ओषधीम् । अहम् । त्रायमाणाम् । सहमानाम् । सहस्वतीम् । इह । हुवे । अस्मै । अरिष्टऽतातये ॥२.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 2; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    कल्याण की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (जीवलाम्) जीवन देनेवाली, (नघारिषाम्) न कभी हानि करनेवाली, (जीवन्तीम्) जीव रखनेवाली, (त्रायमाणाम्) रक्षा करनेवाली, (सहमानाम्) [रोग] दबा लेनेवाली, (सहस्वतीम्) बलवाली (ओषधीम्) ओषधि [समान वेदविद्या] को (इह) यहाँ [आत्मा में] (अस्मै) इस [पुरुष] को (अरिष्टतातये) शुभ करने के लिये (अहम्) मैं (हुवे) बुलाता हूँ ॥६॥

    भावार्थ

    जो मनुष्य ओषधिसमान वेदविद्या का सेवन करते हैं, वे शुभ भोगते हैं ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(जीवलाम्) जीव+ला दाने-क, टाप्। जीवप्रदाम् (नघारिषाम्) स घा वीरो न रिष्यति-ऋक्० १।१८।४। एवमत्र (न) निषेधे (घ) अवधारणे, सांहितिको दीर्घः, रिष हिंसायाम्-क, टाप्। नैव हिंसाशीलाम् (जीवन्तीम्) रुहिनन्दिजीविप्राणिभ्यः षिदाशिषि। उ० ३।१२७। जीव प्राणधारणे-झच्, षित्त्वात् ङीष्। प्राणधारिकाम्। अशुष्काम् (ओषधीम्) भेषजम् (त्रायमाणाम्) रक्षन्तीम् (सहमानाम्) रोगस्याभिभवित्रीम् (सहस्वतीम्) बलवतीम् (इह) आत्मनि (हुवे) आह्वयामि (अस्मै) जीवहिताय (अरिष्टतातये) अ० ३।५।५। शुभकरणाय ॥

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    विषय

    जीवन्ती ['पाठा' ओषधि]

    पदार्थ

    १. (जीवलाम्) = जीवन-शक्ति देनेवाली, (नघारिषाम्) = [न घा रिषाम्] निश्चय से हिसित न करनेवाली (जीवन्तीम) = [कदाचित् अपि अशुष्काम्] स्वयं सदा हरी-भरी, जीवित रहनेवाली सजीवा (ओषधीम्) = ओषधि को (अस्मै) = इस पुरुष के लिए मैं (हुवे) = पुकारता हूँ। २. इस (त्रायमाणाम्) = रक्षा करनेवाली-सेवन करनेवालों का रोगपरिहार द्वारा रक्षण करनेवाली (सहमानाम्) = रोगों का अभिभव करनेवाली, (सहस्वतीम्) = बलवाली इस 'पाठा व सहदेवी' नामक ओषधि को (इह) = यहाँ रोग-विनाशरूप कर्म में (अरिष्टतातये) = अहिंसन के लिए [स्वार्थे ताति प्रत्ययः] हम पुकारते हैं।

    भावार्थ

    यह जीवन्ती [पाठा, सहदेवी] नामक ओषधि हमें मृत्यु से ऊपर उठाकर जीवन देनेवाली बनती है।

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    भाषार्थ

    (जीवलाम्) जीवन देने वाली अर्थात् प्राण धारण कराने वाली, (नघारिषाम्) अहत्या और अहिंसा करने वाली, (जीवन्तीम्) जीवित, हरी-भरी अर्थात् ताजा (त्रायमाणाम्) रक्षा करने वाली, (सहमानाम्) रोगों का पराभव करने वालो, (सहस्वतीम्) बलवती (ओषधीम्) ओषधि का (अहम्) मैं (इह) यहां (हुवे) आह्वान करता हूं। (अस्मै) इस माणवक की (अरिष्टातातये) अहिंसा के लिये।

    टिप्पणी

    [जीवलाम्= जीव (जीव प्राणधारणे) + लाम् (मत्वर्थीयः लः)। नघारिषाम्= न+घ (हन्)= (न हन्ति) +अ रिषाम् (रिष हिंसायाम्) न हनन करने वाली, न हिंसा करने वाली। सहमानाम्= रोगस्याभिभवित्रीम् (सायण)। सहस्वतीम् = सहः बलनाम (निघं० २।९)। अरिष्टतातये= अरिष्ट + तातिः, "शिवशमरिष्टस्य करे" (अष्टा० ४।४।१८३) द्वारा तातिल् प्रत्यय। "जीवलाम्" आदि नाना नाम भिन्न-भिन्न गुणों की दृष्टि से एक ही ओषधि के हैं, अथवा ये नाना ओषधियां हैं। "औषधीम्" पद का तथा 'हुवे' का प्रत्येक के साथ अन्वय है (सायण)। सायण के अनुसार यह ओषधि "पाठा" है]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Long Life

    Meaning

    To avert the danger and save the life of this man, I bring up and prepare the medicine which would revive his energy without hurting him, raise his vitality, enhance his resistance, protect him against deterioration, fight out the disease and restore him to normal health.

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    Translation

    To keep this man out of harm’s way, I administer to him the herb Jivanti, bestower of new life, producing no badeffect, protecting, overwhelming (the disease) and an invigorating tonic.

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    Translation

    I, the physician procure the life-giving unmortifying medicinal plants named jivanti and Trayamana which overcome and destroys disease, for the sound health of this man.

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    Translation

    For the health of this man, I grant a living animating medicine, lifeinfusing, injuring, preserving, efficacious, and invigorating.

    Footnote

    I' refers to God. Jivanti is the name of a plant, which has got manifold medicinal curative properties.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(जीवलाम्) जीव+ला दाने-क, टाप्। जीवप्रदाम् (नघारिषाम्) स घा वीरो न रिष्यति-ऋक्० १।१८।४। एवमत्र (न) निषेधे (घ) अवधारणे, सांहितिको दीर्घः, रिष हिंसायाम्-क, टाप्। नैव हिंसाशीलाम् (जीवन्तीम्) रुहिनन्दिजीविप्राणिभ्यः षिदाशिषि। उ० ३।१२७। जीव प्राणधारणे-झच्, षित्त्वात् ङीष्। प्राणधारिकाम्। अशुष्काम् (ओषधीम्) भेषजम् (त्रायमाणाम्) रक्षन्तीम् (सहमानाम्) रोगस्याभिभवित्रीम् (सहस्वतीम्) बलवतीम् (इह) आत्मनि (हुवे) आह्वयामि (अस्मै) जीवहिताय (अरिष्टतातये) अ० ३।५।५। शुभकरणाय ॥

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