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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 8 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 8/ मन्त्र 28
    ऋषिः - कुत्सः देवता - आत्मा छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - ज्येष्ठब्रह्मवर्णन सूक्त
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    उ॒तैषां॑ पि॒तोत वा॑ पु॒त्र ए॑षामु॒तैषां॑ ज्ये॒ष्ठ उ॒त वा॑ कनि॒ष्ठः। एको॑ ह दे॒वो मन॑सि॒ प्रवि॑ष्टः प्रथ॒मो जा॒तः स उ॒ गर्भे॑ अ॒न्तः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒त । ए॒षा॒म् । पि॒ता । उ॒त । वा॒ । पु॒त्र: । ए॒षा॒म् । उ॒त । ए॒षा॒म् । ज्ये॒ष्ठ: । उ॒त । वा॒ । क॒नि॒ष्ठ: । एक॑: । ह॒ । दे॒व: । मन॑सि । प्रऽवि॑ष्ट: । प्र॒थ॒म: । जा॒त: । स: । ऊं॒ इति॑ । गर्भे॑ । अ॒न्त: ॥८.२८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उतैषां पितोत वा पुत्र एषामुतैषां ज्येष्ठ उत वा कनिष्ठः। एको ह देवो मनसि प्रविष्टः प्रथमो जातः स उ गर्भे अन्तः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उत । एषाम् । पिता । उत । वा । पुत्र: । एषाम् । उत । एषाम् । ज्येष्ठ: । उत । वा । कनिष्ठ: । एक: । ह । देव: । मनसि । प्रऽविष्ट: । प्रथम: । जात: । स: । ऊं इति । गर्भे । अन्त: ॥८.२८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 8; मन्त्र » 28
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    परमात्मा और जीवात्मा के स्वरूप का उपदेश।

    पदार्थ

    यह [जीवात्मा] (एषाम्) इन [प्राणियों] का (उत) अथवा (पिता) पिता, (उत वा) अथवा (एषाम्) इनका (पुत्रः) पुत्र है, (उत) अथवा (एषाम्) इनका (ज्येष्ठः) ज्येष्ठ भ्राता [सब से बड़ा भाई] (उत वा) अथवा (कनिष्ठः) कनिष्ठ भ्राता [सबसे छोटा भाई है]। (एकः ह) एक ही (देवः) देव [सर्वव्यापक परमात्मा] (मनसि) ज्ञान में (प्रविष्टः) प्रविष्ट होकर (प्रथमः) सब से पहिले (जातः) प्रसिद्ध हुआ, (सः उ) वही (गर्भ अन्तः) गर्भ के भीतर [प्राणियों के अन्तःकरण में] है ॥२८॥

    भावार्थ

    नित्य जीवात्मा शरीर के सम्बन्ध से पिता पुत्रादि कहाता है। इस जीवात्मा से भी सूक्ष्म ज्ञानस्वरूप परमात्मा सब में व्यापक है ॥२८॥

    टिप्पणी

    २८−(उत) अथवा (एषाम्) समीपवर्तिनाम् (पिता) जनकः (पुत्रः) तनयः (एषाम्) (उत) (एषाम्) (ज्येष्ठः) वृद्ध-इष्ठन्। अग्रजो भ्राता (उत वा) (कनिष्ठः) युवाल्पयोः कनन्यतरस्याम्। पा० ५।३।६४। युवन् अल्प वा-इष्ठनि कनादेशः। अनुजो भ्राता (एकः) अद्वितीयः (ह) एव (देवः) सर्वव्यापकः परमात्मा (मनसि) ज्ञाने (प्रविष्टः) (प्रथमः) आदिमः (जातः) प्रसिद्धः (सः) (उ) एव (गर्भे) अन्तःकरणरूपे गर्भाशये (अन्तः) मध्ये ॥

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    विषय

    पिता उत पुत्रः, ज्येष्ठः उत वा कनिष्ठः

    पदार्थ

    १. गतमन्त्र के अनुसार शरीर धारण करनेवाला यह जीवात्मा (उत एषां पिता) = इन सन्तानों का कभी तो पिता बनता है, (उत वा) = और निश्चय से (एषाम्) = इन अपने माता-पिताओं का (पुत्रः) = पुत्र होता है। (उत एषां ज्येष्ठः) = कभी तो भाइयों में बड़ा होता है, (उत वा) = अथवा कभी (कनिष्ठः) = छोटा होता है। २. (ह) = निश्चय से (एकः देवः) = वह अद्वितीय प्रकाशमय प्रभु (मनासि प्रविष्ट:) = हमारे हृदयों में स्थित है। (प्रथमः जात:) = वह सृष्टि बनने से पहले ही प्रादुर्भूत हुआ हुआ है (ऊ) = और वर्तमान में (स:) = वे प्रभु ही (गर्भे अन्त:) = सब लोक-लोकान्तरों व प्राणियों में प्रविष्ट होकर रह रहे है-अन्दर स्थित हुए-हुए सबका नियमन कर रहे हैं।

    भावार्थ

    जीव शरीर में प्रविष्ट होकर कभी पिता है तो कभी पुत्र, कभी ज्येष्ठ है तो कभी कनिष्ठ, परन्तु वे अद्वितीय प्रभु पहले से ही प्रादुर्भूत हैं और वर्तमान में वे प्रभु ही सबके अन्दर स्थित होते हुए सब लोक-लोकान्तरों का नियमन कर रहे हैं।

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    भाषार्थ

    (उत) तथा (एषाम्) इन को (पिता) पिता (उत वा) तथा (एषाम्) इनका (पुत्रः) पुत्र (उत) तथा (एषाम्) इनमें (ज्येष्ठः) बड़ा (उत वा) तथा (कनिष्ठः) छोटा होता रहता है। (एकः देवः ह) एक ही देव [जीवात्मा] (मनसि) मन में (प्रविष्टः) प्रविष्ट हुआ (प्रथमः जातः) पहिले पैदा होता है, (सः उ) वह ही [मरकर, शरीर त्याग कर पुनः] (गर्भे अन्तः) गर्भ के भीतर आता है।

    टिप्पणी

    [देवः =जीवात्मा स्वरूपतः देव है। परन्तु मन द्वारा जकड़ा होकर, "अदेव" हो कर, नानारूपों में जन्म लेता रहता है।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Jyeshtha Brahma

    Meaning

    And you become the father of these many children, or the son or daughter of these many father or mother forms, or the eldest or the youngest of many. All the same, one, the same, is the divine soul abiding in the heart core, the same born first at the beginning of the life cycle in body, and the same that was in the womb.

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    Translation

    You are the father of all these, and also their son. You are the eldest among these and also the youngest. Surely He is the sole Lord, who has entered (our) mind (heart). Though born first of all, He is still in the womb.

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    Translation

    This individual soul sometimes becomes their father and sometimes their son too, and sometimes it even becomes their younger brother. Verily the one self-luminous soul dwelling within the mind has taken birth before and verily it again enters the womb (of the mother).

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    Translation

    Soul is the father of these children, the son of these parent, the eldest or the youngest child God alone dwells in the mind. He existed before all created objects, and is present in the heart.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २८−(उत) अथवा (एषाम्) समीपवर्तिनाम् (पिता) जनकः (पुत्रः) तनयः (एषाम्) (उत) (एषाम्) (ज्येष्ठः) वृद्ध-इष्ठन्। अग्रजो भ्राता (उत वा) (कनिष्ठः) युवाल्पयोः कनन्यतरस्याम्। पा० ५।३।६४। युवन् अल्प वा-इष्ठनि कनादेशः। अनुजो भ्राता (एकः) अद्वितीयः (ह) एव (देवः) सर्वव्यापकः परमात्मा (मनसि) ज्ञाने (प्रविष्टः) (प्रथमः) आदिमः (जातः) प्रसिद्धः (सः) (उ) एव (गर्भे) अन्तःकरणरूपे गर्भाशये (अन्तः) मध्ये ॥

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