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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 59
    ऋषिः - यम, मन्त्रोक्त देवता - त्रिष्टुप् छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त
    1

    द॒ण्डंहस्ता॑दा॒ददा॑नो ग॒तासोः॑ स॒ह श्रोत्रे॑ण॒ वर्च॑सा॒ बले॑न। अत्रै॒व त्वमि॒हव॒यं सु॒वीरा॒ विश्वा॒ मृधो॑ अ॒भिमा॑तीर्जयेम ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    द॒ण्डम् । हस्ता॑त् । आ॒ऽददा॑न: । ग॒तऽअ॑सो: । स॒ह । श्रोत्रे॑ण । वर्च॑सा । बले॑न । अत्र॑ । ए॒व । त्वम् । इ॒ह । व॒यम् । सु॒ऽवीरा॑: । विश्वा॑: । मृध॑: । अ॒भिऽमा॑ती: । ज॒ये॒म॒ ॥२.५९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    दण्डंहस्तादाददानो गतासोः सह श्रोत्रेण वर्चसा बलेन। अत्रैव त्वमिहवयं सुवीरा विश्वा मृधो अभिमातीर्जयेम ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    दण्डम् । हस्तात् । आऽददान: । गतऽअसो: । सह । श्रोत्रेण । वर्चसा । बलेन । अत्र । एव । त्वम् । इह । वयम् । सुऽवीरा: । विश्वा: । मृध: । अभिऽमाती: । जयेम ॥२.५९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 2; मन्त्र » 59
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सुकर्म करने का उपदेश।

    पदार्थ

    (गतासोः) प्राण छोड़ेहुए [मृतकसमान निरुत्साही] पुरुष के (हस्तात्) हाथ से (श्रोत्रेण) [अपने]श्रवण सामर्थ्य [विद्याबल], (वर्चसा) तेज और (बलेन सह) बल के साथ (दण्डम्) दण्ड [शासन पद] को (आददानः) लेता हुआ (त्वम्) तू (अत्र एव) यहाँ पर और (वयम्) हम (इह)यहाँ पर (सुवीराः) बड़े वीरोंवाले होकर (विश्वाः) सब (मृधः) संग्रामों और (अभिमातीः) अभिमानी शत्रुओं को (जयेम) जीतें ॥५९॥

    भावार्थ

    जो मनुष्य धर्म मेंनिरुत्साही हो, सब धर्मात्मा पुरुष उस दुराचारी को पदच्युत करके परास्त करें॥५९॥मन्त्र ५९ का उत्तरार्द्ध और मन्त्र ६० का पूर्वार्द्ध कुछ भेद से ऋग्वेदमें है−१०।१८।९ ॥

    टिप्पणी

    ५९−(दण्डम्) शासनाधिकारम् (हस्तात्) अधिकारात् (आददानः)गृह्णानः (गतासोः) विगतप्राणस्य। मृतकसदृशस्य (सह) (श्रोत्रेण) श्रवणसामर्थ्येन।विद्याबलेन (वर्चसा) तेजसा (बलेन) सामर्थ्येन (अत्र) अस्मिन् संसारे (एव) (त्वम्) (इह) (वयम्) पुरुषार्थिनः (सुवीराः) सुवीरवन्तः (विश्वाः) सर्वाः (मृधः)संग्रामान् (अभिमातीः) अभिमन्यमानान् शत्रून् (जयेम) अभिभवेम ॥

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    विषय

    सवीर, न कि गतासु [मृतप्राय-सा]

    पदार्थ

    १. जो व्यक्ति उत्साहशून्य जीवनवाला मृतप्राय-सा होता है उस (गतासो:) = गतप्राण [मृतप्राय] व्यक्ति के (हस्तात्) = हाथ से (दण्डम्) = दमनशक्ति को (आददान:) = छीन लेते हुए, हे प्रभो ! (त्वम्) = आप (श्रोत्रेण) = ज्ञान-प्राप्ति की साधनभूत श्रवणशक्ति के साथ (वर्चसा बलेन सह) = रोगों से मुकाबला करनेवाली 'वर्चस्' शक्ति के साथ तथा शत्रुओं से मुकाबला करनेवाले बल के साथ (अत्र एव) = यहाँ ही हमारे जीवन में होओ। २. इह यहाँ इस जीवन में (वयम्) = हम (सुवीरा:) = उत्तम वीर बनते हुए (विश्वा:) = सब (मृधः) = हिंसन करनेवाली (अभिमाती:) = शत्रुभूत अभिमान आदि भावनाओं को (जयेम) = जीतनेवाले हों। सब शत्रुओं को जीतकर हम इस जीवन में सुखी हों और आपको प्राप्त करनेवाले हों।

    भावार्थ

    प्रभु निरुत्साही [गतप्राण से] व्यक्ति के हाथ से दमनशक्ति को छीन लेते हैं। वे प्रभु श्रोत्र, वर्चस् व बल' के साथ हमारे जीवन में हों। हम बीर बनकर विनाशक अभिमान आदि वृत्तियों को पराभूत करनेवाले हों।

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    भाषार्थ

    नवनिर्वाचित राजा (गतासोः) गतप्राण और गतप्रज्ञ से हुए पुराने राजा के (हस्तात्) हाथ से, उसके अधिकार से (श्रोत्रेण, वर्चसा, बलेन सह) विवादों को श्रवण करने के अधिकार, राजकीय तेज और सेना बल के साथ-साथ (दण्डम्) दण्डधर के अधिकार को (आददानः) आदान करता हुआ कहे कि हे राजन् ! (अत्र एव) इसी राष्ट्र में (त्वम्) आप रहिये, और (इह) इसी राष्ट्र में (वयम्) राज्याधिकारी भी रहें। और (सुवीराः) उत्तम सैनिक वीरों वाले होकर हम (विश्वाः) सभी (अभिमातीः) अभिमानी (मृधः) संग्रामोद्यत शत्रुसेनाओं पर (जयेम) विजय पायें।

    टिप्पणी

    [अभिप्राय यह है कि राजा जब प्राणशक्ति और विचारशक्ति से निर्बल पड़ जाय, और राज्यशासन के लिये अशक्त हो जाय, तब नवनिर्वाचन द्वारा नया राजा बना लेना चाहिये।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Victory, Freedom and Security

    Meaning

    Take away the power from the hands of the weak and the enervated along with their strength and splendour and the power to hear and adjudicate, and be here strong at the centre, and let us all, brave and well provided with the brave, win over our rivals and adversaries and achieve the goals of all battles of life.

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    Translation

    Taking the staff from the hand of the deceased man, together with hearing, splendor, strength-thou just there, here may we, rich in heroes, conquer all scorners (and) evil plotters.

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    Translation

    O surviving man, you taking the staff from the hand (possession) of the dead man live here in this world, with ear, splendor and vigor. We all having good children conquer all the enemies and foemen.

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    Translation

    Snatch government from the hand of a lifeless ruler, with the power of your knowledge, dignity and strength. Remaining in this world, let thou and us with brave soldiers win all battles and overcome enemies.

    Footnote

    Thou: A brave general. Government should always remain in the hands of strong persons. The weak are not fit to rule.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५९−(दण्डम्) शासनाधिकारम् (हस्तात्) अधिकारात् (आददानः)गृह्णानः (गतासोः) विगतप्राणस्य। मृतकसदृशस्य (सह) (श्रोत्रेण) श्रवणसामर्थ्येन।विद्याबलेन (वर्चसा) तेजसा (बलेन) सामर्थ्येन (अत्र) अस्मिन् संसारे (एव) (त्वम्) (इह) (वयम्) पुरुषार्थिनः (सुवीराः) सुवीरवन्तः (विश्वाः) सर्वाः (मृधः)संग्रामान् (अभिमातीः) अभिमन्यमानान् शत्रून् (जयेम) अभिभवेम ॥

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