अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 12
ऋषिः - अथर्वा
देवता - बार्हस्पत्यौदनः
छन्दः - याजुषी जगती
सूक्तम् - ओदन सूक्त
0
सीताः॒ पर्श॑वः॒ सिक॑ता॒ ऊब॑ध्यम् ॥
स्वर सहित पद पाठसीता॑: । पर्श॑व: । सिक॑ता: । ऊब॑ध्यम् ॥३.१२॥
स्वर रहित मन्त्र
सीताः पर्शवः सिकता ऊबध्यम् ॥
स्वर रहित पद पाठसीता: । पर्शव: । सिकता: । ऊबध्यम् ॥३.१२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
सृष्टि के पदार्थों के ज्ञान का उपदेश।
पदार्थ
(सीताः) जोतने की रेखाएँ (पर्शवः) [उसकी पसलियाँ] और (सिकताः) बालू (ऊबध्यम्) [उसके] कुपचे अन्न [समान] है ॥१२॥
भावार्थ
ईश्वर प्रत्येक परमाणु में व्यापक है ॥१२॥
टिप्पणी
१२−(सीताः) कर्षणोत्पन्ना लाङ्गलपद्धतयः (पर्शवः) पार्श्वास्थीनि (सिकताः) बालुकाः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। दुर्+बध बन्धने-यत्, दकारलोपे, ऊत्वम्। अजीर्णमन्नम् ॥
विषय
ब्रह्मौदन का पाचन
पदार्थ
१. (राध्यमानस्य ओदनस्य) = पकाये जा रहे ब्रह्मौदन की (इयम् पथिवी एव) = यह पृथिवी ही (कुम्भी भवति) देगची होती है और (द्यौः अपिधानम्) = धुलोक उस कुम्भी के मुख का छादक पात्र ढकना बनता है। इसप्रकार यह ब्रह्मौदन इस द्यावापृथिवी के सारे अन्तराल को व्यास करके वर्तमान हो रहा है। इसमें सब पिण्डों व पदार्थों का ज्ञान दिया गया है। (सीता:) = कर्षण से उत्पन्न, बीज का जिनमें आवषन होता है, वे लांगल-पद्धतियाँ इस ओदन के विराट् शरीर की (पर्शव:) = पार्श्व-स्थियों हैं । (सिकता:) = रेत:कण (ऊबध्यम) = उदरगत अजीर्ण अन्न के मल के समान हैं। २. (ऋतम्) = सत्य या व्यवस्थित [right] जीवन ही (हस्तावनेजनम्) = हाथ धोने का जल है। (कुल्या) = कुलों के लिए हितकर नीति इस ओदन का (उपसेचनम्) = मिश्रणसाधन-सेचन जल है।
भावार्थ
वेद धुलोक से पृथिवीलोक तक सब पिण्डों का प्रतिपादन करता है। यहाँ 'सीता, सिकता, ऋत व कुल्या' इन सबका प्रतिपादन है।
भाषार्थ
(पर्शवः) छाती की पसलियां (सीताः) हल चलाने की रेखाओं अर्थात् हल-पद्धतियों के स्थानी है, (सिकताः) रेता (ऊबध्यम्) उदरस्थ अर्धपक्व अन्न हैं। सीताः = furrows।
टिप्पणी
[खेत में हल चलाने पर जो गहरी खाईयां पड़ जाती हैं, और खाईयों के दो ओर उन्नत ढेर हो जाते हैं, वे पसलियों की आकृति के सदृश हैं। पसलियों के मध्य खाली स्थान खाइयां सी होती हैं, उन के दोनों ओर पसलियां उभरी हुई होती हैं। पर्शवः और सिकताः परमेश्वरीय रचनाएं हैं। और सीताः तथा ऊबध्य प्राणियों की रचनाएं हैं। इन दोनों रचनाओं में प्रतिरूपता है]।
विषय
विराट् प्रजापति का बार्हस्पत्य ओदन रूप से वर्णन।
भावार्थ
(सीताः पशवः) हल, कृषि आदि उसकी पसुलियां हैं (सिकताः) बालुएं रेगिस्तान आदि प्रदेश उसके पेट में पड़े मल के समान है।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। बार्हस्पत्यौदनो देवता। १, १४ आसुरीगायत्र्यौ, २ त्रिपदासमविषमा गायत्री, ३, ६, १० आसुरीपंक्तयः, ४, ८ साम्न्यनुष्टुभौ, ५, १३, १५ साम्न्युष्णिहः, ७, १९–२२ अनुष्टुभः, ९, १७, १८ अनुष्टुभः, ११ भुरिक् आर्चीअनुष्टुप्, १२ याजुषीजगती, १६, २३ आसुरीबृहत्यौ, २४ त्रिपदा प्रजापत्यावृहती, २६ आर्ची उष्णिक्, २७, २८ साम्नीबृहती, २९ भुरिक्, ३० याजुषी त्रिष्टुप् , ३१ अल्पशः पंक्तिरुत याजुषी। एकत्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Odana
Meaning
The furrows are its ribs, and the sand is content of the stomach.
Translation
The furrows (its) ribs, gravel the content of (its) bowles..
Translation
Furrows are its ribs and sandy soils are the contents of its stomach.
Translation
Furrows are His ribs, sandy soils the undigested contents of His stomach.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१२−(सीताः) कर्षणोत्पन्ना लाङ्गलपद्धतयः (पर्शवः) पार्श्वास्थीनि (सिकताः) बालुकाः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। दुर्+बध बन्धने-यत्, दकारलोपे, ऊत्वम्। अजीर्णमन्नम् ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal