अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 5
ऋषिः - अथर्वा
देवता - बार्हस्पत्यौदनः
छन्दः - साम्न्युष्णिक्
सूक्तम् - ओदन सूक्त
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अश्वाः॒ कणा॒ गाव॑स्तण्डु॒ला म॒शका॒स्तुषाः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअश्वा॑: । कणा॑: । गाव॑: । त॒ण्डु॒ला: । म॒शका॑: । तुषा॑: ॥३.५॥
स्वर रहित मन्त्र
अश्वाः कणा गावस्तण्डुला मशकास्तुषाः ॥
स्वर रहित पद पाठअश्वा: । कणा: । गाव: । तण्डुला: । मशका: । तुषा: ॥३.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
सृष्टि के पदार्थों के ज्ञान का उपदेश।
पदार्थ
(अश्वाः) घोड़े (कणाः) कण [समान], (गावः) गौवें (तण्डुलाः) चावल [समान] और (मशकाः) माछड़ (तुषाः) भुसी [समान] हैं ॥५॥
भावार्थ
घोड़े आदि जीव परमेश्वर की महिमा के बहुत छोटे अंश है ॥५॥
टिप्पणी
५−(अश्वाः) मार्गव्यापिनो घोटकाः (कणाः) क्षुद्रांशाः (गावः) गवादिजन्तवः (तण्डुलाः) अ० १०।९।२६। तुषरहिता व्रीहयः (मशकाः) अ० ४।२६।९। दशकाः (तुषाः) धान्यत्वचाः ॥
विषय
'बृहस्पति: शिरा'
पदार्थ
१. (तस्य ओदनस्य) = उस ब्रह्मौदन के विराट् शरीर का (बृहस्पतिः शिर:) = महान् लोकों का स्वामी प्रभु ही शिर:स्थानीय है, अर्थात् वह बृहस्पति ही इसका मुख्य प्रतिपाद्य विषय है। (ब्रह्म) = ज्ञान (मुखम्) = मुख है-इस ओदन के मुख से ब्रह्म [ज्ञान] की वाणियौं उच्चरित होती हैं। इस ओदन के विराट् शरीर के (द्यावापृथिवी) = द्युलोक व पृथिवीलोक (श्रोत्रे) = कान हैं। इसमें युलोक से पृथिवीलोक तक सब लोक-लोकान्तरों का ज्ञान सुनाई पड़ता है। (सूर्याचन्द्रमसौ) = सूर्य और चाँद इस ओदन-शरीर की (अक्षिणी) = आँखें हैं। सूर्य व चन्द्र द्वारा ही यह ज्ञान प्राप्त होता है। दिन का अधिष्ठातृदेव सूर्य है, रात्रि का चन्द्र। हमें दिन-रात इस ज्ञान को प्रास करना है। (सप्तऋषयः) = शरीरस्थ सप्तऋषि ही (प्राणापाना:) = इसके प्राणापान हैं। ('कर्णाविमौ नासिके चक्षणी मुखम्') = दो कानों, दो नासिका-छिद्रों, दो आँखों व मुख के द्वारा ही इस ओदन-शरीर का जीवन धारित होता है। २. इस ओदन को तैयार करने के लिए (चक्षुः मुसलम्) = आँख मूसल का कार्य करती है, (काम:) = इच्छा ही इसके लिए (उलूखलम्) = ओखली है। प्रत्येक वस्तु को आँख खोलकर देखने पर वह वस्तु उस ब्रह्म की महिमा का प्रतिपादन कर रही होती है। इच्छा के बिना यह ज्ञान प्राप्त नहीं होता। (दितिः) = यह खण्डनात्मक जगत्-जिस जगत् में प्रतिक्षण छेदन-भेदन चल रहा है, वह कार्यजगत्-इस ओदन के लिए (शूर्पम्) = छाज होता है। (अदिति:) = मूल प्रकृति शर्पग्राही उस छाज को मानो पकड़े हुए है। (वात:) = यह वायु ही (अपाविनक्) = धान से तण्डलों को पृथक् करनेवाला होता है। (अश्वा: कणा:) = इस ओदन के कण अश्व' है, (गावः तण्डुला:) = ओदन के उपादानभूत तण्डुल गौवें हैं। (मशका: तुषा:) = अलग किये हुए तुष [भूसी] मशक आदि क्षुद्र जन्तु हैं। (कब्रू) = [कब to colour] चित्रित प्राणी या जगत् इस ओदन के (फलीकरणा:) = [Husks separated from the grain] छिलके हैं तथा (अभ्रम् शर:) = मेघ ऊपर आई हुई पपड़ी [Cream] की भाँति हैं।
भावार्थ
प्रभु ने वेदज्ञान दिया। इसका मुख्य प्रतिपाद्य विषय ब्रह्म है। इसमें 'हलोक, पृथिवीलोक, सूर्य-चन्द्र, सप्तर्षि, चक्षु, काम, दिति, अदिति, वात, अश्व, गौ, मशक, चित्रित जगत् [प्राणी] व मेघ' इन सबका वर्णन उपलभ्य है।
भाषार्थ
(अश्वाः कणाः) अश्व कण स्थानी हैं, (गावः तण्डुलाः) गौएं तण्डुल स्थानी हैं, (मशकाः तुषाः) मच्छर तुष स्थानी हैं।
टिप्पणी
[टूटे तण्डुल जो कि कणरूप होते हैं उन्हें अश्व कहा है। वायु के कारण कण ऐसे उड़ते है जैसे कि अश्व वेग से भागते हैं। अनटूटे तण्डुलों को गावः कहा है। तण्डुल सात्विक भोजन है, गौएं अर्थात् गोदुग्ध भी सात्विक है। गावः= गोदुग्ध। यथा “गोभिः शृणीत मत्सरम्" (ऋ० ९।४६।४) की व्याख्या में कहा है कि "इति पयसः" (निरुक्त २।२।५)। तुष हैं व्रीहि के छिलके। तुष हाथ में चुबते हैं, मच्छर भी काटते हैं। अतः तुष मच्छर हैं। कण, तण्डुल, तुष- ये व्रीहि के अवयव हैं, अश्व, गौ, मच्छर इन का सम्बन्ध परमेश्वरोदन के साथ है। अतः इन में प्रतिरूपता है]।
विषय
विराट् प्रजापति का बार्हस्पत्य ओदन रूप से वर्णन।
भावार्थ
(अश्वाः कणाः) अश्व कण हैं। (गावः तण्डुलाः) गौएं अर्थात् तण्डुल निखरे चावल हैं। (मशकाः तुषाः) मशक आदि क्षुद्र जन्तु तुष हैं।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। बार्हस्पत्यौदनो देवता। १, १४ आसुरीगायत्र्यौ, २ त्रिपदासमविषमा गायत्री, ३, ६, १० आसुरीपंक्तयः, ४, ८ साम्न्यनुष्टुभौ, ५, १३, १५ साम्न्युष्णिहः, ७, १९–२२ अनुष्टुभः, ९, १७, १८ अनुष्टुभः, ११ भुरिक् आर्चीअनुष्टुप्, १२ याजुषीजगती, १६, २३ आसुरीबृहत्यौ, २४ त्रिपदा प्रजापत्यावृहती, २६ आर्ची उष्णिक्, २७, २८ साम्नीबृहती, २९ भुरिक्, ३० याजुषी त्रिष्टुप् , ३१ अल्पशः पंक्तिरुत याजुषी। एकत्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Odana
Meaning
Horses are the grains, cows are the clean rice, flies and mosquitoes, the chaff.
Translation
Horses the corns (kana), kine the grains (tandula), fues the husks.
Translation
Horses are like grain bits, cows are like rice and mosquitoes are like husks.
Translation
Horses are the grains, kine the winnowed rice, gnats the husks.
Footnote
Horses, oxen, gnats are the minor parts of the glory of God.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
५−(अश्वाः) मार्गव्यापिनो घोटकाः (कणाः) क्षुद्रांशाः (गावः) गवादिजन्तवः (तण्डुलाः) अ० १०।९।२६। तुषरहिता व्रीहयः (मशकाः) अ० ४।२६।९। दशकाः (तुषाः) धान्यत्वचाः ॥
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