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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 13
    ऋषिः - अथर्वा देवता - बार्हस्पत्यौदनः छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - ओदन सूक्त
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    ऋ॒तं ह॑स्ताव॒नेज॑नं कु॒ल्योप॒सेच॑नम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ऋ॒तम्। ह॒स्त॒ऽअ॒व॒नेज॑नम् । कुल्या᳡ । उ॒प॒ऽसेच॑नम् ॥३.१३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ऋतं हस्तावनेजनं कुल्योपसेचनम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ऋतम्। हस्तऽअवनेजनम् । कुल्या । उपऽसेचनम् ॥३.१३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 3; मन्त्र » 13
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    सृष्टि के पदार्थों के ज्ञान का उपदेश।

    पदार्थ

    (ऋतम्) सत्यज्ञान (हस्तावनेजनम्) [उसके] हाथ धोने का जल, और (कुल्या) सब कुलों के लिये हितकारी [नीति] (उपसेचनम्) [उसका] उपसेचन [छिड़काव] है ॥१३॥

    भावार्थ

    जैसे जल द्वारा प्राणियों में शुद्धि और वृद्धि होती है, वैसे ही परमेश्वर ने वेदरूप सत्यज्ञान और सत्यनीति द्वारा संसार का उपकार किया है ॥१३॥श्री सायणाचार्य ने (ऋतम्) का अर्थ “जल अर्थात् संसार में विद्यमान सब जल” और (कुल्या) का अर्थ “छोटी नदी” किया है ॥

    टिप्पणी

    १३−(ऋतम्) सत्यज्ञानम् (हस्तावनेजनम्) णिजिर् शौचपोषणयोः-ल्युट्। हस्तप्रक्षालनजलम् (कुल्या) कुल-यत्, टाप्। कुलेभ्यो जगत्समूहेभ्यो हिता नीतिः (उपसेचनम्) जलेनार्द्रीकरणं वर्धनम् ॥

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    विषय

    ब्रह्मौदन का पाचन

    पदार्थ

    १. (राध्यमानस्य ओदनस्य) = पकाये जा रहे ब्रह्मौदन की (इयम् पथिवी एव) = यह पृथिवी ही (कुम्भी भवति)  देगची होती है और (द्यौः अपिधानम्) = धुलोक उस कुम्भी के मुख का छादक पात्र ढकना बनता है। इसप्रकार यह ब्रह्मौदन इस द्यावापृथिवी के सारे अन्तराल को व्यास करके वर्तमान हो रहा है। इसमें सब पिण्डों व पदार्थों का ज्ञान दिया गया है। (सीता:) = कर्षण से उत्पन्न, बीज का जिनमें आवषन होता है, वे लांगल-पद्धतियाँ इस ओदन के विराट् शरीर की (पर्शव:) = पार्श्व-स्थियों हैं । (सिकता:) = रेत:कण (ऊबध्यम) = उदरगत अजीर्ण अन्न के मल के समान हैं। २. (ऋतम्) = सत्य या व्यवस्थित [right] जीवन ही (हस्तावनेजनम्) = हाथ धोने का जल है। (कुल्या) = कुलों के लिए हितकर नीति इस ओदन का (उपसेचनम्) = मिश्रणसाधन-सेचन जल है।

    भावार्थ

    वेद धुलोक से पृथिवीलोक तक सब पिण्डों का प्रतिपादन करता है। यहाँ 'सीता, सिकता, ऋत व कुल्या' इन सबका प्रतिपादन है।

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    भाषार्थ

    (ऋतम्) पृथिवीस्थ जल (हस्तावनेजनम्) हाथ धोने के जल स्थानी है, (कुल्या) अल्पा सरित् अर्थात् छोटी नदियां (उपसेचनम्) खेत के सींचने की नालियों के स्थानी हैं।

    टिप्पणी

    [ऋतम् उदकनाम (निघं० १/१२) अवनेजनम् =अव + विजिर शुद्धौ। हाथों को शुद्ध अर्थात् धोने का जल। व्याप्त जल और कुल्या ओदन-ब्रह्म की कृतियां हैं, हस्तावनेजन और उपसेचन मानुष कृतियां हैं। इस प्रकार परमेश्वरीय और मानुष कृतियों में प्रतिरूपता है]।

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    विषय

    विराट् प्रजापति का बार्हस्पत्य ओदन रूप से वर्णन।

    भावार्थ

    (ऋतम्) सत्य ज्ञान या समस्त जल उसको (हस्तावनेजनम्) हाथ धोने का जल है और (कुल्याः उपसेचनम्) नहरें, नदियें सब उसके गूंधने का जल है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। बार्हस्पत्यौदनो देवता। १, १४ आसुरीगायत्र्यौ, २ त्रिपदासमविषमा गायत्री, ३, ६, १० आसुरीपंक्तयः, ४, ८ साम्न्यनुष्टुभौ, ५, १३, १५ साम्न्युष्णिहः, ७, १९–२२ अनुष्टुभः, ९, १७, १८ अनुष्टुभः, ११ भुरिक् आर्चीअनुष्टुप्, १२ याजुषीजगती, १६, २३ आसुरीबृहत्यौ, २४ त्रिपदा प्रजापत्यावृहती, २६ आर्ची उष्णिक्, २७, २८ साम्नीबृहती, २९ भुरिक्, ३० याजुषी त्रिष्टुप् , ३१ अल्पशः पंक्तिरुत याजुषी। एकत्रिंशदृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Odana

    Meaning

    Rtam is hand wash, and streams, sprinklers.

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    Translation

    Righteousness (rta) (its) hand-washing the brook (kulya) (its) pouring-on.

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    Translation

    The law eternal is its hand washing waters and rivers, canals are its sprinkling—water.

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    Translation

    Truth is His water for washing the hands, and family usage His aspersion.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १३−(ऋतम्) सत्यज्ञानम् (हस्तावनेजनम्) णिजिर् शौचपोषणयोः-ल्युट्। हस्तप्रक्षालनजलम् (कुल्या) कुल-यत्, टाप्। कुलेभ्यो जगत्समूहेभ्यो हिता नीतिः (उपसेचनम्) जलेनार्द्रीकरणं वर्धनम् ॥

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