अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 7
ऋषिः - अथर्वा
देवता - बार्हस्पत्यौदनः
छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप्
सूक्तम् - ओदन सूक्त
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श्या॒ममयो॑ऽस्य मां॒सानि॒ लोहि॑तमस्य॒ लोहि॑तम् ॥
स्वर सहित पद पाठश्या॒मम् । अय॑: । अ॒स्य॒ । मां॒सानि॑ । लोहि॑तम् । अ॒स्य॒ । लोहि॑तम् ॥३.७॥
स्वर रहित मन्त्र
श्याममयोऽस्य मांसानि लोहितमस्य लोहितम् ॥
स्वर रहित पद पाठश्यामम् । अय: । अस्य । मांसानि । लोहितम् । अस्य । लोहितम् ॥३.७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
सृष्टि के पदार्थों के ज्ञान का उपदेश।
पदार्थ
(श्यामम्) श्याम वर्ण (अयः) लोहा (अस्य) इसके (मांसानि) मांस के अवयव [तुल्य] हैं और (लोहितम्) रक्त वर्णवाला [लोहा अर्थात् ताँबा] (अस्य) इसके (लोहितम्) रुधिर [समान] है ॥७॥
भावार्थ
लोहा-ताँबा आदि धातु परमेश्वर की सत्ता से उत्पन्न हुए हैं ॥७॥
टिप्पणी
७−(श्यामम्) इषियुधीन्धिदसिश्या०। उ० १।१४५। श्यैङ् गतौ-मक् कृष्णवर्णम् (अयः) इण् गतौ-असुन्। लौहः। धातुभेदः (अस्य) पूर्वोक्तस्य परमेश्वरस्य (मांसानि) मांसावयवाः (लोहितम्) रक्तवर्णम्। अयः। ताम्रमित्यर्थः (अस्य) (लोहितम्) रुधिरम् ॥
विषय
धातुएँ व कृषिसम्बद्ध पदार्थ
पदार्थ
१. (अस्य) = इस ब्रह्मौदन के विराट् शरीर के (श्यामम् अयः) = काले वर्ण का लोहधातु (मांसानि) = मांस स्थानापन्न है। (लोहितम्) = [अयः] लालवर्ण के ताम्र आदि धातु (अस्य लोहितम्) = इसका रुधिर ही है। (त्रपु) = सीसा (भस्म) = ओदनपाक के अनन्तर रहनेवाली राख ही है। (हरितम्) = मनोहारिवर्णवाला हेम [सोना] इसका (वर्ण:) = वर्ण है। (पुष्करम्) = कमल (अस्य गन्धः) = इस ओदन का गन्ध है। २. (खल:) = व्रीहि आदि धान्यों का पलाल से पृथक् करने का स्थान (पात्रम्) = यह ओदन का पात्र है। (स्फ्यौ) = दोनों 'स्पय' नामक यज्ञसाधन [A sword shaped implement used in sacrifices] इसके (अंसौ) = कैंधे हैं। (ईषे) = शकट-सम्बन्धी दण्ड इसके (अनूक्ये) = कन्धे व मध्यदेह के संधि-स्थल हैं, पृष्ठास्थिविशेष हैं। (जत्रव:) = जोत इसकी (आन्त्राणि) = आते हैं, (वरत्रा:) = रज्जुएँ (गुदा:) = गुदा स्थानापन्न हैं।
भावार्थ
वेद में जहाँ 'लोहा, तांबा, सीसा, सोना' आदि धातुओं के वर्णन के साथ कमल आदि पुष्पों का वर्णन उपलभ्य है, वहाँ कृषक के साथ सम्बद्ध 'खल, स्फ्य, ईषा, जत्र, वरत्र' आदि वस्तुओं का भी प्रतिपादन है।
भाषार्थ
(श्यामम्, अयः) काला लोहा, (अस्य) इस [ओदन-ब्रह्म] का (मांसानि) कृष्योदन सम्बन्धी मांस स्थानी है। (लोहितम्) लाल लोहा अर्थात् ताम्बा, (अस्य) इस [ओदन-ब्रह्म] का (लोहितम्) साठी नामक लाल ओदन सम्बन्धी लालिमा स्थानी है।
टिप्पणी
[साठी के धान का कौन सा भाग मांसस्थानी है,और उस की प्रतिरूपता, काले-लोहे के साथ किस प्रकार सम्भव है - यह विचारणीय है। मांस शब्द, केवल प्राणिमांस के लिये ही प्रयुक्त नहीं होता। इस का प्रयोग फलों के गुच्छे आदि के लिये भी होता है। यथा "यथा वृक्षो वनस्पतिस्तथैव पुरुषोऽमृषा॥ तस्य लोमानि पर्णानि त्वगस्योत्पाटिका बहिः॥ त्वच एवास्य रुधिरं प्रस्यन्दि त्वच उत्पटः॥ तस्मात्तदातृन्नात्प्रैति रसो वृक्षादिवाऽऽहतात्॥ मासान्यस्य शकराणि किनाट स्नाव तत्स्थिरम्॥ अस्थीन्यन्तरतो दारुणि मज्जा मज्जोपमा कृता॥" (बृहदा० उप० ३/९/२८) में, पुरुष के सदृश, वृक्ष में भी, मांस, त्वचा, रुधिर, अस्थि आदि सत्ता प्रतिपादित की है। तथा मांसम् = The fleshy part of a fruit (आप्टे)]।
विषय
विराट् प्रजापति का बार्हस्पत्य ओदन रूप से वर्णन।
भावार्थ
(श्यामम् अयः अस्य मांसानि) श्याम = काला लोहा इसके मांस हैं और (लोहितम् अयः अस्य लोहितम्) लाल लोहे, ताम्बा आदि धातु इसके रुधिर हैं।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। बार्हस्पत्यौदनो देवता। १, १४ आसुरीगायत्र्यौ, २ त्रिपदासमविषमा गायत्री, ३, ६, १० आसुरीपंक्तयः, ४, ८ साम्न्यनुष्टुभौ, ५, १३, १५ साम्न्युष्णिहः, ७, १९–२२ अनुष्टुभः, ९, १७, १८ अनुष्टुभः, ११ भुरिक् आर्चीअनुष्टुप्, १२ याजुषीजगती, १६, २३ आसुरीबृहत्यौ, २४ त्रिपदा प्रजापत्यावृहती, २६ आर्ची उष्णिक्, २७, २८ साम्नीबृहती, २९ भुरिक्, ३० याजुषी त्रिष्टुप् , ३१ अल्पशः पंक्तिरुत याजुषी। एकत्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Translation
Dark metal its flesh, red its blood (lohita).
Translation
The black iron is like its flesh and the copper is like its blood.
Translation
Black iron is His flesh, copper His blood.
Footnote
Iron and copper have been created by God.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
७−(श्यामम्) इषियुधीन्धिदसिश्या०। उ० १।१४५। श्यैङ् गतौ-मक् कृष्णवर्णम् (अयः) इण् गतौ-असुन्। लौहः। धातुभेदः (अस्य) पूर्वोक्तस्य परमेश्वरस्य (मांसानि) मांसावयवाः (लोहितम्) रक्तवर्णम्। अयः। ताम्रमित्यर्थः (अस्य) (लोहितम्) रुधिरम् ॥
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